धर्मलाइफस्टाइल

रामलीला मण्डल के द्वारा श्री दशरथ कैकेयी, श्रीराम सम्वाद का मंचन किया गया ।

 

गाजीपुर।

अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में लीला के पांचवे दिन 25 सितम्बर को शाम 8ः00 बजे हरिशंकरी स्थित श्रीराम चबूतरा पर वन्देवाणी विनायको आदर्श रामलीला मण्डल के द्वारा श्री दशरथ कैकेयी, श्रीराम सम्वाद का मंचन किया गया ।

जिसे देखकर दर्शको के आंखो में आंसू छलक उठें। लीला के दौरान महाराज दशरथ को जब दासियों द्वारा महारानी कैकेयी के कोप भवन में जाने की सूचना मिलती है तो अपने राजदरबार से उठकर महारानी कैकेयी कक्ष में जाते हैं और उन्होंने देखा वहाँ भी कैकेयी नहीं है ।

उन्होंने दासियों से महारानी कैकेयी के बारे में जानने की कोशिश की तो दासी द्वारा ज्ञात होता है कि महारानी जी किन्ती कारणवश गुस्से में होकर कोप भवन में जाकर अपने वस्त्राभूषण तथा गहने को बिखेर कर कोप भवन में जाकर जमीन पर लेटी हुई हैं।

दासियों के कहने के अनुसार महाराज दशरथ कोप भवन में जाकर देखते हैं कि महारानी कैकेयी राजसी वस्त्राभूषणों को उतारकर फटे-पुराने कपड़े को धारण कर जमीन पर लेटी हुई हैं , उन्होंने महारानी से क्रोध का कारण पूछा तब महारानी कैकेयी द्वारा उन्हें पता चलता है कि उन्होंने देवासुरसंग्राम के दौरान महारानी से खुश होकर 2 वरदान देने का वचन दिया था, तब राजा दशरथ ने कहा कि जो वरदान मुझे देने थे, उसे उसी से मांग लो , तब महारानी कैकेयी ने पहले वरदान में अयोध्या का राज अपने पुत्र भरत को देने को मांगा ली दूसरे वरदान में उन्होंने कहा कि तापस बेषि विषेषि उदासी 14 वरिस रामवनवासी महाराज दूसरे वरदान में आपसे मांगना चाहती हूँ कि तपस्वी के वेष में राम को 14 वर्ष के लिए वन जाने का वरदान चाहिए।

महाराज दशरथ ने पहला वरदान भरत को राज देने का सहस स्वीकार किया, लेकिन दूसरे वर में राम के वन जाने के जगह दूसरा वरदान मांगने को कहा, लेकिन महारानी कैकेयी अपने वचन से दृढ़ रही, जब महारानी नही मानी तो महाराज दशरथ मूर्छित हो गये। जब दूतों द्वारा राजदरबार में राम को पता चला कि पिताजी कैकेयी के कक्ष में मूर्छित खड़े हैं वे राजदरबार से उठकर कैकेयी के कक्ष में आकर देखा तो पिता दशरथ को मूर्छित पड़ा देखकर उन्होंने पिता के मूर्छित होेने का कारण माता कैकेयी से पूछा, तब महारानी कैकेयी ने सबकुछ बता दिया। जब श्रीराम को वन जाने की बात आई तो सहस पिता के वचन को स्वीकार करते हुए पिता से आज्ञा लेकर माँ कौशल्या के कक्ष में जाते हैं, फिर वहाँ पर लक्ष्मण और सीता को भी पता चला कि प्रभु श्रीराम को कैकेयी द्वारा महाराज दशरथ से दूसरे वचन में वन जाने के लिए वचन दिया, तो वे दोनों लोग भी श्रीराम के साथ वन जाने के लिए तपस्वी वेष में आकर माता कैकेयी के कक्ष में पुनः आकर अपने माता कैकेयी, पिता दशरथ, गुरू वशिष्ठ के चरणों में प्रणाम करते हुए वन जाने के लिए आज्ञा मांगते हैं। इस लीला को देखकर उपस्थित दर्शकों के आंखो से आसु छलक उठे और वही जय श्रीराम और हर-हर महादेव के नारों से उद्धघोष किया।

इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी (बच्चा), संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नरायन, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, प्रबंधक वीरेश राम वर्मा, उप प्रबंधक मयंक तिवारी, अजय कुमार पाठक, बाके तिवारी, योगेश कुमार वर्मा “एडवोकेट“, सरदार चरनजीत सिंह, मनोज तिवारी, वरूण कुमार अग्रवाल, रामसिंह यादव, राजकुमार शर्मा, कुशकुमार त्रिवेदी, विश्वम्भर गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे ।

 

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