अपराधस्वास्थ्य

सरकारी चिकित्साधिकारियों की नाक के नीचे जन औषधि केंद्र पर मिला गड़बड़ झाला।

जन औषधि केंद्र में अवैध रूप से ब्रांडेड दवाएं बेचने की कई बार हो चुकी है संबंधित अधिकारियों से शिकायत।

 

गाज़ीपुर  ।

 खबर गाज़ीपुर से है जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकाक्षी योजनाओं में से एक जन औषधि केंद्र से सस्ती जेनरिक दवाओं की जगह महंगी ब्रांडेड दवाएं बेची जा रही हैं और वो गाज़ीपुर के सरकारी महिला अस्पताल से जहाँ चिकित्साधिकारियों का 24 घण्टे जमावड़ा रहता है।

जिला मुख्यालय पर बने सरकारी जिला महिला चिकित्सालय में सस्ती और जेनरिक दवाओं को बेचने के लिए बने जन औषधि केंद्र से बिना बिल और ब्रांडेड दवाओं के बिकने की शिकायत मरीजों , तीमारदारों के साथ दवा विक्रेताओं के संगठनों ने भी सम्बंधित चिकित्साधिकारियों से की है लेकिन मामला जांच और वार्निंग के बाद खत्म हो गया और फिर जन औषधीय केंद्र के संचालकों ने चिकित्सको की नाक के नीचे जन ओषधि की आड़ में मोटी कमाई की दुकान खोल ली है , जिसका सबूत आपको तस्वीरों में नजर आ रही हैं  सरकारी महिला अस्पताल के जन औषधीय केंद्र में धड़ल्ले से बिक रही दवाओं के इन तस्वीर में आप देख रहे हैं।

सूत्रों की माने तो इस काम को अधिकारियों की साठगांठ कर अंजाम दिया जा रहा है। मरीजों को सस्ते दाम पर दवाइयां मिल सके , इसके लिए जन औषधि केंद्र खुलवाया गया । हालांकि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में दवाईयां सस्ती कीमत पर मिल जरूर रही है लेकिन जागरूकता के अभाव में जरूरतमंद लोग यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। पढ़ा लिखा व जागरूक वर्ग ही इसका लाभ ले पा रहा है , लेकिन गाज़ीपुर के सरकारी महिला अस्पताल भवन में बने जन औषधि केंद्र के अलावा भी कई ऐसे केंद्र हैं जहां ब्रांडेड दवाइयां भी बेची जा रही है। इसका खुलासा और शिकायत केमिस्ट & ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने भी अधिकारियों से की थी।

आज मंगलवार को एसोसिएशन के पदाधिकारी गाज़ीपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आनंद मिश्र से मिले और इस बात की दोबारा शिकायत की , तो प्रिंसिपल ने कल बुधवार को 11 बजे जांच करने का भरोसा दिया है जो पहले भी किया जा चुका है। अब देखना है कि अधिकारियों की इस जांच में क्या निकल कर आता है , क्योंकि शिकायत करने वाले तो सिर्फ जांच की उम्मीद ही कर पाएंगे जिसमें जन औषधि केंद्रों और चिकित्सको की सांठ गांठ का ही आरोप लग रहा है ।

फिलहाल यूपी में योगी राज के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात अधिकारी और सत्ता पक्ष के लोग खूब करते हैं, लेकिन देखना है कि इस शिकायत पर जांच की आँच अपना क्या गुल खिलाती है।

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