उत्तर प्रदेश

रजोनिवृत्ति – एक स्वाभाविक परिवर्तन ।

 

वाराणसी ।

रजोनिवृत्ति 45 से 55 साल के बीच की उम्र में होता है। रजोनिवृत्ति होने पर स्त्री के शरीर में शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के पविर्तन हो जाते हैं। रजोनिवृत्ति वह पड़ाव है जिसमें एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है।

रजोनिवृत्ति लक्षण हर महिला में अलग-अलग दिखाई देते हैं। किसी में अचानक मासिक धर्म आना बंद हो जाता है तो किसी में यह प्रक्रिया 1-2 साल तक चलती है। कई मामलों में तो देखा गया है कि कुछ महिलाओं को 45 वर्ष के उम्र से पहले ही मेनोपॉज आ जाता है।
रजोनिवृत्ति बढ़ती उम्र का प्राकृतिक पड़ाव है। रजोनिवृत्ति के कई लक्षण हैं जैसे नींद न आना रात को बेचैनी और पसीना आना, शरीर के अलग अलग भागों में दर्द रहना, चिड़चिड़ापन और मन उदास रहना, चिंता, थकान, शारीरिक कमजोरी अधिक होना, पेट से संबंधित समस्या होना, पाचनशक्ति कमजोर हो जाना, जी मिचलाना और उल्टियां आना, लगातार कब्ज की समस्या होना,योनि में सूखापन और बालों का झड़ना आदि । हार्मोन में बदलाव और मूड स्विंग की वजह से सिरदर्द भी होने लगता है।

रजोनिवृत्ति के बाद नियमित रूपसे व्यायाम करें इससे स्वास्थ्य ठीक रहने के साथ साथ नींद भी अच्छी आएगी,अच्छा महसूस होगा और आप सेहतमंद रहेंगी। नियमित योग तथा प्राणायाम करें। कुछ महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं इसलिये आहार में दूध, दही, अंडे आदि शामिल करने चाहिये । रजोनिवृत्ति के दौरान डिप्रेशन, स्ट्रेस, अकेले रहने की आदत और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं यह समस्या होने पर डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें। चूंकि रजोनिवृत्ति उम्र का एक पड़ाव हैं इससे पूरी तरह से निजात पाना मुश्किल है अतः जीवनशैली में बदलाव लाने से कई महिलाएं राहत महसूस कर पाती हैं। इसमें डॉक्टरी परामर्श से हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी दे सकते हैं। रजोनिवृत्ति महिला के जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है ऐसे में परिवारिक तथा सामाजिक सहयोग एवं सकारात्मक विचार से महिला इस प्रक्रिया को आसानी से पार कर सकती है ।

डॉ संध्या यादव , पूर्व सीनियर रेजिडेंट , बी एच यू एवं मुख्य चिकित्सक , जे पी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, फरीदपुर ।।

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