भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास पदानुक्रम में पार्टी अध्यक्ष के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्षों (वीपी) में से कम से कम एक तिहाई का कोई उपयोग नहीं है. बिना किसी जिम्मेदारी या कार्यभार के उपाध्यक्ष पद संभालने वालों में तीन पूर्व मुख्यमंत्री-राजस्थान की वसुंधरा राजे, छत्तीसगढ़ के रमन सिंह और झारखंड के रघुबर दास शामिल हैं.
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इन राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों- वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया था. उस वर्ष जून में चौहान को भाजपा के सदस्यता अभियान का प्रभारी बनाया गया लेकिन अन्य दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को कोई काम नहीं दिया गया.
पिछले वर्ष सितंबर में अपनी नई टीम गठित करते समय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजे और रमन सिंह को बहाल रखने और रघुबर दास, जो 2014 से 2019 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे थे, को भी इसमें शामिल करने के साथ 12 उपाध्यक्ष नियुक्त किए. चौहान की मुख्यमंत्री के तौर पर मध्य प्रदेश वापसी हो गई थी.
पार्टी के संविधान के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष कार्यकारिणी सदस्यों में 13 से अधिक उपाध्यक्षों को नामित कर सकता है. सौदान सिंह पिछले दिसंबर में 13वें वीपी बने थे. हालांकि, इस महीने के शुरू में तृणमूल कांग्रेस में वापस लौटने वाले मुकुल रॉय के हटने से यह संख्या घटकर अब 12 रह गई है.
संगठनात्मक ढांचे में उपाध्यक्ष पार्टी अध्यक्ष के बाद दूसरे नंबर पर आते हैं लेकिन यह पद सिर्फ दिखाने वाला ही माना जाता है. वो तो पार्टी महासचिव होते हैं जो राज्यों के प्रभारी के तौर पर अपनी शक्तियों का पूरा इस्तेमाल कर पाते हैं.
पार्टी उपाध्यक्षों की मौजूदा सूची में कई लोगों को अहम जिम्मेदारी मिली है. उदाहरण के तौर पर राधा मोहन सिंह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था, बैजयंत पांडा को असम और दिल्ली की जिम्मेदारी मिली है जबकि ए.पी. अब्दुल्लाकुट्टी को लक्षद्वीप और एम. चुबा आओ को मेघालय की. सौदान सिंह को हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ की ‘विशेष जिम्मेदारी’ सौंपी गई है.
कुछ अन्य उपाध्यक्षों रेखा वर्मा, अन्नपूर्णा देवी, भारती बेन शियाल और डी.के. अरुणा को विभिन्न राज्यों में प्रभारियों के साथ मिलकर काम करने के लिए सह प्रभारी बनाया गया है. नड्डा को अपनी टीम गठित किए नौ महीने बीत चुके हैं लेकिन उन्होंने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों राजे, रमन सिंह और रघुबर दास को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी है.
प्रतिक्रिया के लिए संपर्क करने पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा कि इसका कोई अन्य अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए, साथ ही कहा कि वीपी को राज्य की विशिष्ट जिम्मेदारियों से परे भी काम सौंपे जाते हैं.
पार्टी के कुछ अन्य नेताओं ने भी नाम न बताने की शर्त पर यही बात दोहराई और कहा कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्री अपने-अपने गृह राज्यों में सक्रिय हैं. हालांकि, अन्य लोगों ने कहा कि किसी नेता को मिली जिम्मेदारी पार्टी में उसके कद को दर्शाती है और उन्होंने यह भी कहा कि रघुबर दास, राजे या रमन सिंह राष्ट्रीय स्तर पर बिल्कुल सक्रिय नहीं रहे हैं.