ग़ाज़ीपुर ।
साहित्य चेतना समाज का सैंतीसवां वार्षिकोत्सव एवं ‘गाजीपुर गौरव’ अलंकरण समारोह (चेतना महोत्सव-2022) गाजीपुर नगर के वंशीबाजार स्थित राॅयल पैलेस के सभागार में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ।
समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो.राममोहन पाठक थे।अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.आनन्द कुमार सिंह ने की।
समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन से हुआ।
संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने संस्था के उद्देश्य एवं गतिविधियों पर विस्तार से डाला।
समारोह में विगत चार दशकों से निरंतर प्रकाशित भोजपुरी पत्रिका ‘पाती’ के सम्पादक डाॅ.अशोक द्विवेदी को संस्था द्वारा दिये जाने वाले ‘गाजीपुर गौरव’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद तहसील के सुल्तानपुर ग्राम निवासी डाॅ.द्विवेदी को अभी हाल ही में भोजपुरी भाषा के लिए किये जा रहे उनके कार्य को दृष्टिगत कर साहित्य अकादमी के भाषा सम्मान से सम्मानित किया गया।
अपने सम्मान से अभिभूत डाॅ.द्विवेदी ने कहा कि अपनों के बीच अपनों द्वारा दिया गया सम्मान सभी सम्मानों से महत्वपूर्ण एवं श्रेष्ठ है।उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी पाया है वही अपनी रचनाओं में लौटाया है।जीवन-रस के उत्स से रचना बनती है और ऐसी ही रचना श्रेष्ठ होती है।
इस अवसर पर संस्था द्वारा चार वर्गों में आयोजित सामान्य ज्ञान,गणित,निबन्ध,चित्रकला एवं विचार- अभिव्यक्ति प्रतियोगिता में चयनित प्रतिभागियों को स्मृति-चिह्न व प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि प्रो.राममोहन पाठक ने कहा कि भाषा और साहित्य की शक्ति को समझना पड़ेगा।साहित्य और संस्कृति को छोड़कर बच नहीं सकते।जो समाज साहित्य रचेगा , वही बचेगा।
इस दिशा में साहित्य चेतना समाज द्वारा किए जा रहे प्रयास की प्रशंसा करते हुए अपनी शुभकामना दी।समारोह में डी ड्रीम्स डांस एकेडमी के बाल कलाकारों ने देशभक्ति गीत पर भावनृत्य प्रस्तुत किया।
सेन्ट जाॅन्स स्कूल की संगीत शिक्षिका माया नायर,कु.शुभ्रा पाण्डेय , कु.अंशिका सोनी , कु.एंजेल चौरसिया ने गीत प्रस्तुत किया।डाॅ.अक्षय पाण्डेय,डाॅ.कमलेश राय एवं डाॅ.शशि प्रेमदेव ने काव्य-पाठ किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ.आनन्द कुमार सिंह ने कहा कि कोई भी सृजन बिना अहंकार को विलीन किए नहीं हो सकता।व्यक्ति चेतना से समष्टि चेतना पैदा होती है। व्यक्ति चेतना से समष्टि चेतना विकसित होकर सृष्टि चेतना से परमेश्वरी चेतना की ओर बढ़ते हैं। साहित्य की चेतना ही मूल चेतना है जिसके लिए यह संस्था पिछले सैंतीस वर्षों से सक्रिय है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से नवचन्द्र तिवारी,डाॅ.श्रीकांत पाण्डेय,रणजीत सिंह एडवोकेट,हरिनारायण हरीश,आनन्द अग्रवाल,डाॅ.सानन्द सिंह,सौरभ पाण्डेय,बिनोद उपाध्याय,प्रभाकर त्रिपाठी,हर्षित श्रीवास्तव,मनोज सिंह, आशुतोष पाण्डेय,डा.रविनन्दन वर्मा आदि उपस्थित थे।संचालन डाॅ.ऋचा राय एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने किया।
प्रभाकर त्रिपाठी-संगठन सचिव