भारत वर्ष के आजादी का स्वर्ण महोत्सव भी मनाया जाता है, आजादी के इतने सालों बाद भी भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा और भविष्य गुलामी कर रहा है, भारतीय संविधान में Labour Prohibition Act 1986, में लाया गया, 12 जून को बाल श्रम दिवस मनाया जाता है,(ILO) International Labour Organisation Day मनाया जाता है, लेकिन आज भी समाज और प्रशासन के तरफ से इसमें बहुत कड़ाई से काम नही हो रहा है, भारत वर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गरीबी और मजबूरी में बाल मजदूरी करने पर मजबूर है,14, वर्ष और 18 वर्ष से कम बच्चों के लिए बाल श्रम पर कई नियम, बने हुए हैं, जिसमें अगर माता-पिता भी अगर अपने बच्चों से मजदूरी करने पर मजबूर करेंगे तो उनको भी जेल और सजा हो सकता है, बाल मजदूर एक गम्भीर समस्या है जिसको बहुत ही जल्द अगर नही रोका गया तो भारत का भविष्य खतरा में हो सकता है, भारत कई राज्यों में बच्चे आज भी स्कूल नही जाते हैं, क्योंकि उनके घरों में आर्थिक स्थिति अच्छी नही होती है गरीबी रेखा के कारण भी मजबूरी में बच्चों को बाल मजदूरी करने पर मजबूर कर देता है, 2006, 2016, में भी कई नियम आए, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिलकर कार्य करने को कहा गया ,
बाल मजदूर को रोकने में सबसे पहले हमें ये देखना पड़ेगा कि क्या बच्चों को हर रोज पेटभर कर भोजन प्राप्त होता है या नही, आज के समय में किसी भी होटल या घरेलू कार्य में ज्यादातर बाल श्रम करने वाले बच्चे ज्यादा शामिल हैं।
2016 में ऐसे कई नियम बनाए गए जिसमें बाल कलाकार के और जगह निर्धारित किया गया था जिसमें समय और किस तरह का ब्योसाय में बच्चे काम कर सकते हैं इस विषय पर नियम बना था,
कोरोना, काल के बाद से भारत वर्ष में ज्यादा बाल मजदूरी कि संख्या बढ़ी है। जिसमें बाल अपराध का संख्या ज्यादा होता है। बाल श्रम बच्चों को इस प्रकार से प्रताड़ित करता है कि उनके शारीरिक और मानसिक तनाव का कारण बन जाता है और वो मानसिक तनाव से तंग आकर समाज में रहने वाले असमाजिक तत्वों के गिरफ्त में आ जाते हैं। और बाल मजदूर के साथ साथ, बाल अपराधी भी बन जाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर भारत ने भी एक महत्वपूर्ण नियम बनाया गया था,जो जम्मू कश्मीर में भी नियम को बनाया गया था , जम्मू कश्मीर, भारत के कई नियमों और कानूनों से वंचित रहा है,
नशा और बाल अपराध दोनों ही बाल मजदूर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, कई जगहों पर होटलों, दुकानों और छोटे मोटे कारखाने में आज भी बाल मजदूर काम कर रहें हैं, और कई ऐसे जगहों पर बच्चों को कार्य स्थल का मालिक बच्चों को नशीला पदार्थ देता है, और वो उस नशीले पदार्थ के लालच में मजदूरी करता है , माता-पिता अपने बच्चों को चाहकर भी उस स्थान से नही हटा पाते हैं, जम्मू कश्मीर के कुछ बालकों और नवजवानों और नशीले पदार्थ का आदत दिलाया जाता है, क्योंकि पड़ोसी देश भारत के शक्ति को कमजोर करना चाहते हैं, अगर बाल मजदूर को रोकने का कार्य नही किया जाएगा। तो भविष्य में भारत का रक्षा करने वाली सेना भी कमजोर अवस्था में पाया जाएगा।
आज Supreme court of India, नाबालिग बच्चीयों के शारीरिक शोषण पर सख्त कानून बना रखा है, लेकिन कई जगहों पर बाल मजदूरी के तहत बचीयों का शारीरिक और मानसिक शोषण होता है, अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगहों पर लड़कियां स्कूल नहीं जातीं हैं वो अपनी मां के साथ घरेलू कामों और लोगों के घरों में काम करने जातीं हैं, ऐसे परिस्थितियों में लड़कियों का बचपन शिक्षा से वंचित रह जाता है, शिक्षा कि कमी बाल मजदूरी को बढ़ावा देता है,
सरकार के बनाए नियमों को घरों, मुहल्ले और छोटे बड़े सभी होटलों में सख्ती से लागू कर एक महत्वपूर्ण सुचना के तहत फिर से समाज को जागरूक करना पड़ेगा। इसके लिए युवा पीढ़ी को जागृत किया जाना चाहिए।
बाल मजदूर को और नशामुक्त भारत का अविष्कार तभी हो सकता है जब , सरकार, समाज, प्रशासन एकजुट होकर काम करें।
रयाशी, कटरा ,शहर (माता वैष्णो देवी मंदिर) के लिए विश्व में माना जाता है,कई बच्चों और बड़ों को नशीला पदार्थ के ज्यादा खाने से मौत हो गया है माता-पिता अपने बच्चों के इस आदतों से परेशान हैं , क्योंकि उनका अभी तक प्रशासन के साथ कोई भी आपसी समन्वय स्थापित नही हो पाता है, लेकिन प्रशासन को अपने कार्य शैली को ठीक करना पड़ेगा। सभी होटलों या किसी भी स्थान पर मजदूर बच्चों को रोकने और बच्चों का मेडिकल जांच करवाना चाहिए। सबसे ज्यादा परेशान करने वाली ये बात है कि प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तरों के आसपास, और पुलिस प्रशासन,कई जानकारी वाले जगहों पर भी बच्चे बाल मजदूर के तरह काम कर रहे है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाते है, नशे के कारण बच्चों में अपराधीकरण में शामिल होने मौका मिल जाता है और उनका पूरा भविष्य अंधकार में चला जाता है।
भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश का जनसंख्या जम्मू-कश्मीर से कई गुना अधिक है,बाल मजदूर कि संख्या भी ज्यादा है,समाजिक कार्यकर्ता Advocate, Pranjal Srivastava से जब नशीली पदार्थ के सेवन पर बात हुई तो पता चला कि नशीली पदार्थ का सेवन जम्मू-कश्मीर और पंजाब से कम संख्या में लोग इस्तेमाल कर रहे है,
ये इस बात का भी प्रमाण है कि भारत के पडोसी देश भारत के भविष्य के मजबूत स्तम्भ बालक और नौजवान के भविष्य को खराब कर रहा है,
लेकिन बाल मजदूर को रोकथाम करना भारतीय कानून के दारा कठोर कार्रवाई से ही निपटान किया जा सकता है।
Mrs. Neeta Verma
Advocate Supreme Court;
Member, International Jurists of London