![](https://mknews.in/wp-content/uploads/2023/09/Screenshot_6-3-jpg.webp.webp)
New Parliament: आज़ाद हिंदुस्तान के लोकतंत्र का प्रतीक रही संसद की पुरानी इमारत आज इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी और आज गणेश चतुर्थी के दिन से ही नए संसद भवन का श्री गणेश हो जाएगा, जिसके बाद नई बिल्डिंग में संसदीय कार्यवाही शुरू हो जाएगी. इससे पहले पुरानी बिल्डिंग को विदाई देने के लिए सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम भी होगा. संसदीय विरासत और संसदीय गौरव का गवाह रही संसद की पुरानी इमारत से सभी सांसद आज नए भवन में जाएंगे और आज से ही संसद का विशेष सत्र नई इमारत में होगा लेकिन उससे पहले पुरानी इमारत को विदाई दी जाएगी.
इसके लिए बकायदा लोकसभा सचिवालय की तरफ से एक बुलेटिन भी जारी किया गया है. जिसके मुताबिक सुबह साढ़े 9 बजे सभी सांसदों का ग्रुप फोटो होगा जिसका प्रबंध पुरानी इमारत में ही किया गया है.
पुरानी इमारत के सेंट्रल हॉल में होगा विशेष कार्यक्रम
इसके बाद पुरानी इमारत के सेंट्रल हॉल में ही सुबह 11 बजे एक विशेष समारोह होगा जिसके खत्म होने के बाद पीएम मोदी पैदल ही नई इमारत में पहुंचेंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री के हाथों में संविधान भी होगा. उनके पीछे सभी मंत्री और सांसद होंगे. सभी सांसद नई बिल्डिंग में नए पहचान पत्रों के साथ प्रवेश करेंगे. जहां दोपहर 1 बजकर 15 पर नई इमारत में लोकसभा की कार्यवाही शुरू होगी जबकि राज्यसभा की कार्यवाही का आगाज़ 2 बजकर 15 मिनट पर होगा.
इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा में नेता सदन पीयूष गोयल आदि मौजूद रहेंगे.
मनमोहन सिंह साझा करेंगे संसदीय यात्रा के अनुभव
लोकसभा में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाली सांसद मेनका गांधी, राज्यसभा में सबसे लंबे वक्त से सांसद मनमोहन सिंह और दोनों सदनों में ज्यादा समय तक सांसद रहे शिबुसोरेन 75 सालों की संसदीय यात्रा पर अपने अनुभव साझा करेंगे. सेंट्रल हॉल के इस कार्यक्रम में ये संकल्प भी लिया जाएगा कि भारत को 2047 तक विकसित देश बना दिया जाए.
पुराना संसद भवन 96 वर्ष से अधिक समय तक कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम और भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का साक्षी रहा. पुराने संसद भवन का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था। इस इमारत ने औपनिवेशिक शासन, द्वितीय विश्व युद्ध, स्वतंत्रता की सुबह, संविधान को अंगीकार किए जाते और कई विधेयकों को पारित होते देखा, जिनमें से कई ऐतिहासिक एवं कई विवादित रहे.