राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष पद से हर्ष चौहान ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने कार्यकाल के पूरा होने से आठ महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया। उनके इस फैसले पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने दावा करते हुए कहा कि उन्हें वनों और आदिवासी अधिकारों के मुद्दे पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से भिड़ने की कीमत चुकानी पड़ी है।
सूत्रों से पता चला है कि चौहान का इस्तीफा सरकार के वार्षिक प्रदर्शन के मूल्यांकन के बाद आया है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, वह स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे और इस दौरान उन्होंने केवल दो सुनवाई में ही उपस्थित रहे। उनके बदले अधिकारी सुनवाई में हिस्सा लिया।
जून में दिया था इस्तीफा
एक वरिष्ठ एनसीएसटी अधिकारी ने कहा कि चौहान ने 26 जून को इस्तीफा दिया था और हमें राष्ट्रपति द्वारा उनका इस्तीफा स्वीकार करने की बात 27 जून को पता चला। कांग्रेस ने उनके इस्तीफे को नये वन संरक्षण नियम 2022 के तहत जोड़ा है। पिछले साल सितंबर में चौहान ने पर्यावरण मंत्रालय में इस नियम को निलंबित करने के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने मंत्रालय से 2017 के वन संरक्षण नियमों के कुछ प्रावधानों के अनुपालन को “बहाल करने, मजबूत करने और सख्ती से निगरानी करने” का भी आग्रह किया था। हालांकि, मंत्रालय से उनके इस आग्रह को खारिज कर दी गई थी।
जयराम रमेश का आरोप
अपने ट्वीट में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चौहान पर दवाब बनाकर अपने कार्यकाल से आठ महीने पहले इस्तीफा दिलवाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, ‘साल 2021 में हर्ष चौहान राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष के तौर पर पदभार संभाला था। पिछले दो सालों में जिस तरह से वन कानूनों को कमजोर किया गया है, इससे आदिवासियों के हितों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसके लिए वह अन्य कार्यकर्ताओं की तरह कड़ी आपत्तियां जताते रहे हैं।’
रमेश ने कहा ‘अब चौहान इसकी कीमत चुका रहे हैं। उन्हें अपना कार्यकाल खत्म होने के आठ महीने पहले ही इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए मोदी सरकार की चिंताएं बहुत बड़ी है।’
खाली है एनसीएसटी का अध्यक्ष पद
चौहान के इस्तीफे के साथ अब आदिवासी पैनल में अध्यक्ष पक्ष खाली है और इसमें अनंत नायक के अलावा कोई भी अन्य सदस्य नहीं है। साल 2021 में भी चौहान की नियुक्ति से पहले यह पद खाली था। 27 फरवरी 2020 में नंद कुमार साई का कार्यकाल खत्म होने के बाद पैनल पूरे एक साल तक बिना अध्यक्ष के काम करता रहा। जुलाई 2019 में अनुसुइया उइके के छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त होने के बाद से एनसीएसटी का उपाध्यक्ष पद तब से खाली है। वर्तमान में उइके मणिपुर की राज्यपाल है।
एनसीएसटी की स्थापना फरवरी 2024 में संविधान की धारा 338A के तहत की गई थी। यह एक संवैधानिक निकाय है जो अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों, हितों और कल्याण की सुरक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने पर काम करती है। पैनल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। जहां अध्यक्ष के पास केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पद होता है, तो वहीं उपाध्यक्ष के पास राज्य मंत्री और तीन सदस्यों के पास भारत सरकार के सचिव का पद होता है।