राष्ट्रीय

Bawaal Review: अज्जू भैया के नाम लिखैया की चिट्ठी, गिन गिनकर उधेड़े इतिहास के अध्यापक के तार

Bawaal Review: अज्जू भैया के नाम लिखैया की चिट्ठी, गिन गिनकर उधेड़े इतिहास के अध्यापक के तार

अत्र कुशलं तत्रास्तु! समाचार ये है कि तुम्हारा पूरा नाम अब भी तमाम लोगों को यहां याद नहीं रहता है। किसी को बताओ कि अज्जू भैया का पूरा नाम अजय दीक्षित है तो वह चौंक जाते हैं। ये सब कहते हैं कि अवध के ब्राह्मण के ऐसे तेवर तो नहीं होते। सुना है शाम को तुम शराब पीते हो। लखनऊ के हजरतगंज चौराहे से बिना हेलमेट के बुलेट से निकल जाते हो और ट्रैफिक वाला सिपाही चालान करने की बजाय तुम्हें सलाम करता है। बात कुछ हमें तो हजम नहीं होती, हां, इससे तुम्हारी इमजे कइसे बनेगी, पता नहीं।

अच्छा ये बताओ कि इतिहास के अध्यापक बनने के बाद तुमने गोत्र वोत्र तो नहीं बदल लिया अपना। मरजाद वगैरह तो याद है ना। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग तुम्हें जब उघारे देखते हैं तो तुम्हारे कांधे पर जनेऊ नहीं दिखता। क्या, ब्राह्मण होकर भी बिना जनेऊ के ही ब्याह कर लिए और जब ब्याह किए हो तो बहू को घर से बाहर लेकर भी जाना चाहिए। ये ठीक है कि अब गौना वगैरह नहीं होता और तुम्हें भी लगने लगा है कि शादी के 10 महीने हो गए और बहू को घुमाने ले जाना चाहिए लेकिन ये स्कूल में विधायक को तमाचा मारने की क्या जरूरत थी। और, विधायक भी उत्तर प्रदेश का ऐसा कि स्कूल के कामकाम में दखलंदाजी कर रहा है। अपने हिसाब से बच्चों का ‘सरप्राइज टेस्ट’ ले रहा है। योगीजी को पता चल गया तो पता है न कि क्या होगा?

वैसे तुम्हारी अम्मा लखनऊ की पंडिताइन होने के बाद भी जै नर्मदा मैया तो शुरू से कहती आई हैं। तुम्हारे पापा ने कभी उनको टोका नहीं कि लखनऊ में नर्मदा नहीं गोमती नदी है। और, पंडितों में जै गंगा मइया तो सब कहते हैं, जै नर्मदा मइया कहने वाली तुम्हारी अम्मा ही इकलौती हैं। प्यार तो खैर तुमको दोनों करते हैं, नहीं तो बैंक के बाबुओं के घर में दारू पीकर लड़के का प्रवेश निषेध ही रहता है। तुम्हारे यूरोप भ्रमण के बारे में भी जाना। द्वितीय विश्व युद्ध के बहाने तुम्हारे और बहू के बीच प्रेमालाप हो पाएगा, ये जानकर खुशी हुई है।

लेकिन, तुम्हें लगता नहीं कि ये कुछ ज्यादा हो गया है। एक तो तुम हिंदी ठीक से बोल नहीं पाते हो। करोड़ को करोड बोलते हो। अंग्रेजी तुम्हारी माशा अल्लाह है। फ्रेंच के दो तीन शब्द सीखकर बकैती करोगे तो पता है न एयरपोर्ट पर ही धर लिए जाओगे। वैसे मास्टरों वाले लक्षण तुम एक भी नहीं है। एक नंबर के बदमाश रहे हो तुम। याद है ना। बहू की संगत में कुछ दिन रहोगे तो शायद तुम्हारे लक्षण सुधरें। गुण तो तुम दोनों के एक भी मिलते नहीं। ठीक है कि बाहर की लड़ाई खत्म हो जाती है और भीतर की पता ही नहीं चलता कि कब खत्म होगी, लेकिन कुछ तो तारतम्य होना चाहिए न बातों में और कहावतों में।

बहू, चिट्ठी तो अज्जू के नाम है लेकिन दो चार लाइनें तुम्हारे लिए अलग से। तुम सुंदर हो, सुशील होने का नंबर आता है तो सुशील लगती भी हो, लेकिन तुम्हें लगता नहीं कि ये जबर्दस्ती का हेन टेन तुम पर अब सूट नहीं करता। होंठ देखकर लोग तो सवाल पहले से करते रहे हैं कि कुछ न तो कुछ सर्जरी जरूर बहू ने करा रखी है। ऊपर से विदाई से ठीक पहले जो हुआ वो अच्छा नहीं हुआ। फिर भी तुम टॉपर लड़की रही हो और अज्जू तुम्हारे साथ रहकर अपनी इमेज बनाने के चक्कर में है। अपना ख्याल रखना और वो जो काला सफेद याद आता रहता है न अज्जू को दुनिया की दूसरी लड़ाई को लेकर, उसके झांसे में मत पड़ना। सब माया है।

अज्जू भैया, तुमसे हम सबको बड़ी उम्मीदें रही हैं, लेकिन चार चार लोग मिलकर भी तुम्हारी कहानी इस बार भी सेट कर नहीं पा रहे हैं। नितेश से कहना कि लड़के छिछोरपंथी के अलावा भी बहुत कुछ करते हैं कानपुर, लखनऊ के। कहानी सही बनाया करें। ये क्या बना दिया है तुमको न ‘दंगल’ का महावीर बनने दिया और न ‘छिछोरे’ का रैगी। और, बीच वालों का हश्र क्या होता है, तुमको पता ही है। आशा करते हैं कि तुम्हारे अच्छे दिन जल्दी आएंगे। और, अगली बार गाना बजाना भी थोड़ा ढंग का करोगे। ‘बवाल’ का सही मतलब भी ईश्वर तुम सबको जल्दी समझाएं, यही गंगा मैया से प्रार्थना करते हैं। चिट्ठी लिखने में थोड़ी देर हो गई, इसलिए कि लखनऊ के पास ही फतेहपुर चौरासी, उन्नाव में लाइट का कोई भरोसा नहीं रहता। ट्रांसफॉर्मर फुंक जाए तो कब बदलेगा, पता नहीं। अपना ख्याल रखना और चिट्ठी लिखते रहना। ‘बवाल’ तुम्हारा इस बार ठीक से कटा नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button