चंद्रयान-3 अब चांद के बेहद करीब है, जहां प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद से 100 किमी की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहा है वहीं विक्रम लैंडर अब चांद की सतह से महज 30 किमी ऊपर है. इसरो के मुताबिक अब तक का सफर उम्मीद के मुताबिक है और 23 अगस्त को चांद की सतह पर विक्रम लैंडर उतरने वाला है. चांद की सतह पर जब विक्रम लैंडर के उतरने के बाद उसके पेट से प्रज्ञान रोवर निकलेगा और वो चांद की सतह को परखने का काम करेगा. यहां पर हम बताएंगे कि विक्रम लैंडर से कहीं अधिक महत्वपूर्ण प्रज्ञान रोवर क्यों है.
चांद पर उतरने वाला है विक्रम लैंडर
विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद प्रज्ञान रोवर अपना काम शुरू कर देगा. प्रज्ञान का मतलब बुद्धिमान होता है. अगर बात 2019 के चंद्रयान मिशन दो की करें तो उस समय विक्रम लैंडर के हार्ड क्रैश की वजह से प्रज्ञान भी प्रभावित हो गया था. इस दफा उम्मीद जताई जा रही है विक्रम लैंडर जब चांद पर अपने पैरों को जमा लेगा उसके बाद प्रज्ञान अपने मिशन को शुरू कर देगा. वो चांद की सतह को परखेगा और उस जानकारी को विक्रम तक पहुंचाएगा. विक्रम सारी जानकारी 100 किमी की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहे प्रोपल्शन मॉड्यूल को भेजेगा और वहां से बेंगलुरु स्थित डीप स्टेशन नेटवर्क को चांद की सतह के बारे में जानकारी मिलती रहेगी।
यूं ही नहीं खास है प्रज्ञान रोवर
विक्रम लैंडर के पेट में प्रज्ञान रोवर को रखा गया जिसका वजन करीब 26 किलोग्राम है. 26 किली वजनी प्रज्ञान को इस तरह से डिजाइन किया गया जिससे वो चांद की सतह को बारीकी से निरीक्षण कर सारी जानकारी इसरो को भेजेगा. प्रज्ञान को 6 पहिए वाली प्लेटफॉर्म पर रखा गया है. प्रज्ञान के पहियों की डिजाइनिंग इस तरह की गई ताकि वो चांद की सतह पर आसानी से चल सके. इसमें अल्फा पार्टिकल एक्स रे के साथ साथ लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रामीटर से लैस किया गया है. इसकी मदद से चांद की सतह के रासायिक विश्वलेषण में भी आसानी होगी.