हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में आई आपदा के बाद से वहां राहत और बचाव का काम आज (शनिवार को) भी जारी है. लेकिन पहाड़ पर आई इस आपदा से निपटने के लिए खुद के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) एक्शन मोड में आ गए हैं. हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू बता चुके हैं कि राज्य में 10 हजार करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है. अब पीएम मोदी ने हिमाचल प्रदेश के हालात को लेकर हाईप्रोफाइल बैठक की है. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश के गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे. बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने हालात और एक्शन पर बारीकी से जानकारी ली और जरूरी निर्देश भी दिए.
जायजा लेने हिमाचल जाएंगे नड्डा
बैठक में तय ये हुआ है कि रविवार को जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के हालात का जायजा लेने जाएंगे और बारिश बाढ़ से प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे. दरअसल, जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं और वो वहां की मुश्किलों और चुनौतियों को बेहतर समझते हैं. जेपी नड्डा हिमाचल के उन इलाकों में भी जाएंगे जहां पर बाढ़ और बारिश का असर ज्यादा हुआ है.
हिमाचल में चल रहा राहत-बचाव कार्य
गौरतलब है कि हिमाचल में राहत और बचाव का काम किस रफ्तार से चल रहा है और यहां पर किस तरह की मदद की जरूरत है, नड्डा ये भी आंकलन करने वाले हैं. संदेश साफ है कि पीएम मोदी से मुलाकात के बाद जेपी नड्डा राहत कार्य से जुड़े उन तमाम खामियों और खूबियों को समझेंगे जिसके आगे वहां के लोग बेबस हैं.
शिमला में रेस्क्यू ऑपरेशन अब तक जारी
बता दें कि शिमला में लैंडस्लाइड के बीच बारिश से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं. समर हिल जहां लैंडस्लाइड में मंदिर दब गया था, वहां अब तक पूरी तरह से रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म नहीं हुआ है. कई दूसरी जगहों पर भी लैंडस्लाइड की वजह से मलबा बिखरा पड़ा है जिसे हटाने के लिए एयरफोर्स के शिनूक हेलीकॉप्टर से JCB मशीन लाई गई है.
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में लैंडस्लाइड की वजह से कई जगहों पर पहाड़ का मलबा हाइवे पर आ गया है. सड़क बंद हो गई है. लैंडस्लाइड के बाद पहाड़ से पेड़ नीचे सड़क पर गिर रहे हैं. पेड़, बिजली के तारों पर गिर रहे हैं जिसकी वजह से वहां अफरा-तफरी फैल गई. बारिश, लैंडस्लाइड की वजह से शिमला-कालका के बीच चलने वाली ट्रॉय ट्रेन का रूट भी प्रभावित हुआ है. ट्रैक के नीचे से जमीन गायब हो गई है.
24 जून से अबतक कुल 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और 2 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया. इस तबाही से 10 हजार से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा तो करीब 1900 से ज्यादा घर जमींदोज हो गए. हिमाचल प्रदेश में 506 सड़कों के साथ 3 नेशनल हाइवे अभी भी बाधित हैं और 1000 से ज्यादा बस रूट ठप पड़े हुए हैं. कुदरत की इस मार से पूरे हिमाचल प्रदेश में 10 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है.