उत्तराखंड (Uttarakhand) की बागेश्वर विधानसभा (Bageshwar Assembly) सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी (BJP) को एक बार फिर जीत मिली है. बीजेपी की पार्वती दास ने कांग्रेस के बसंत कुमार को 2,321 वोटों से शिकस्त दी है. वोटों की गिनती में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. भले ही पार्वती दास 2,321 वोटों से जीत गई हों लेकिन यह कहीं न कहीं मौजूदा सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करता है.
बागेश्वर में उतारा था नया उम्मीदवार
कुमाऊं मंडल में एससी के लिए आरक्षित बागेश्वर सीट पर वोटिंग 5 सितंबर को हुई थी. इस सीट पर 55.44 प्रतिशत वोट पड़े थे. इस साल अप्रैल में विधायक और कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी. वह साल 2007 से लेकर चार बार इस सीट से विधायक रहे. पार्वती दास, चंदन दास की पत्नी हैं.
खटक रहा बीजेपी उम्मीदवार लचर का प्रदर्शन
मजबूत उम्मीदवार और राज्य सरकार की पूरी मशीनरी होने के बावजूद बीजेपी उम्मीदवार का इतने लचर प्रदर्शन से जीतना राजनीतिक पंडितों को भी खटक रहा है. दिवंगत विधायक के प्रति सहानुभूति को बीजेपी ने इस चुनाव में भुनाने की कोशिश की. उसे उम्मीद थी कि मजबूत संगठन और जनता की सहानुभूति से उसको बागेश्वर सीट पर फायदा होगा. लेकिन उसे जीत को मिली लेकिन जैसे-तैसे वाली.
धामी सरकार पर सवालिया निशान
बीजेपी के टिकट से पार्वती दास को 2000 से कुछ ज्यादा वोट से जीत पुष्कर सिंह धामी सरकार के कामकाज और प्रदेश सरकार के मजबूत संगठन के दावे पर भी सवालिया निशान है. 70 सदस्यों वाली उत्तराखंड विधानसभा में बीजेपी के 46, कांग्रेस के 19 जबकि बहुजन समाज पार्टी के दो और दो निर्दलीय विधायक हैं.
खुद सीएम धामी करने आए थे सभा
खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पार्वती दास के पक्ष में कई चुनावी सभाएं की और जनता से कहा कि बागेश्वर में बैजनाथ धाम होने से यह शिव की नगरी है और इसलिए यहां से पार्वती को जिताएं. उन्होंने कहा किया कि केंद्र और राज्य सरकार की बदौलत बागेश्वर का चहुमुंखी विकास हो रहा है जबकि दिवंगत चंदन राम दास भी आजीवन बागेश्वर के लिए सेवा करते रहे और उनके अधूरे कामों को पूरा करने के लिए पार्वती को जिताना जरूरी है.
मुख्यमंत्री ने बागेश्वर और गरूड़ में दास के लिए रोड शो भी किए. पिछले कुछ वर्षों में इस सीट पर चुनाव में लगातार कट्टर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखा गया है. लेकिन पुष्कर सिंह धामी पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हुए थे. उनकी अगुआई में ही उत्तराखंड की सत्ता में बीजेपी की वापसी हुई थी.
पार्वती दास को इतने कम वोटों से जीत ऐसे वक्त पर मिली है, जब राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इस चुनाव को समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन, जबरन धर्मांतरण, अनियमित भर्ती परीक्षाओं पर सख्त कानून बनाने और अवैध अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई जैसे धामी सरकार के फैसलों पर जनमत संग्रह बताया था.
बागेश्वर सीट पर बीजेपी को इतने कम मार्जिन पर मिली जीत के बाद उसके लिए आत्मचिंतन की घड़ी है. उसको सोचना पड़ेगा कि लगातार दो बार सत्ता का स्वाद चखने के बावजूद जनता का समर्थन उसके लिए वोटों में तब्दील क्यों नहीं हो पा रहा है.