दिल्ली (Delhi) में जी-20 समिट (G20 Summit) का सफल आयोजन हुआ है. तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष जी-20 समिट में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आए. जी-20 के इतर भारत ने तमाम देशों से द्विपक्षीय वार्ता की. भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Economic Corridor) जैसा बड़ा ऐलान भी किया गया. लेकिन, अब विपक्ष आरोप लगा रहा है कि जी-20 समिट के आयोजन में केंद्र सरकार ने पहले से आवंटित किए गए पैसे से 300 फीसदी ज्यादा खर्च किया. हालांकि, केंद्र सरकार ने विपक्ष के इस आरोप को गलत बताते हुए जवाब दिया है. आइए जानते हैं कि सरकार की तरफ से इसपर क्या कहा गया है?
टीएमसी सांसद का क्या है आरोप?
बता दें कि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के सांसद साकेत गोखले ने ट्वीट कर कहा कि अविश्वसनीय! मोदी सरकार ने G-20 पर बजट में आवंटित धनराशि से 300% अधिक खर्च किया. सवाल- पिछले केंद्रीय बजट में G-20 शिखर सम्मेलन के लिए कितना आवंटन किया गया था? जवाब- 990 करोड़ रुपये. सवाल- मोदी सरकार ने वास्तव में कितना खर्च किया? जवाब- 4100 करोड़ से ज्यादा. यह बजट से 300% या 3110 करोड़ अधिक है. ये पैसा कहां गया? बीजेपी को यह अतिरिक्त 3110 करोड़ रुपये का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए क्योंकि यह स्पष्ट रूप से 2024 के चुनावों के लिए पीएम मोदी के सेल्फ-एडवरटाइजमेंट और पर्सनल पीआर के लिए गैर-जरूरी खर्च था?
केंद्र सरकार का जवाब
इन आरोपों पर सरकार की फैक्ट चेकिंग टीम PIB ने फैक्ट चेक किया है और आरोपों को गुमराह करने वाला बताया है. पीआईबी के मुताबिक, यह खर्च सिर्फ शिखर सम्मेलन के लिए नहीं था बल्कि इसमें लॉन्ग-टर्म इन्फ्रास्ट्रक्चर और एसेट्स में निवेश भी शामिल था.
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस ने भी एक वीडियो में कहा कि पीएम मोदी ने अपनी छवि चमकाने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले अपने पोस्टर लगाने के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च किए. शहर के गरीबों को कवर करते हुए, पीएम मोदी ने मेहमानों के लिए चांदी और सोने की परत वाले टेबलवेयर सहित बढ़िया व्यवस्था की.