ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ (महिला आरक्षण विधेयक) का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि वह इस विधेयक के खिलाफ हैं क्योंकि इसमें मुस्लिम और ओबीसी समुदाय की महिलाओं के लिए कोटा शामिल नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस महिला आरक्षण बिल में बड़ी खामी है. ओवैसी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि आप किसे प्रतिनिधित्व दे रहे हैं? जिनके पास प्रतिनिधित्व नहीं है उन्हें प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए. इस विधेयक में बड़ी खामी यह है कि मुस्लिम और ओबीसी समुदायों की महिलाओं के लिए कोई कोटा नहीं है, इसलिए हम इसके खिलाफ हैं.
ओवैसी ने कहा कि आप एक विधेयक बना रहे हैं ताकि कम प्रतिनिधित्व वाले लोगों का प्रतिनिधित्व हो. अब तक 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं जिनमें 8,992 सांसद चुने गए हैं. इनमें से केवल 520 मुसलमान थे और इनमें मुट्ठी भर भी महिलाएं नहीं थीं. इसमें 50% की कमी है.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण विधेयक की जोरदार वकालत करते हुए कहा था कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ एक कानून बन जाए. उन्होंने आग्रह किया कि संसद के दोनों सदनों के सांसद इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करें.
नए संसद भवन में पहले सत्र के पहले भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि सोमवार को कैबिनेट बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई और कहा कि इससे लोकतंत्र मजबूत होगा. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम नामक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया. इसे नए संसद भवन में पेश किया जाने वाला पहला विधेयक बनाते हुए, सरकार ने कहा कि यह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम करेगा और 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा.
विपक्ष को आश्चर्यचकित करते हुए सरकार ने पिछले महीने संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र बुलाया था. इस फैसले की घोषणा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने की. संसद का विशेष सत्र शुक्रवार को समाप्त होगा.