लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल पास हो गया है. आज राज्यसभा में इस पर चर्चा होगी. लोकसभा सचिवालय को बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर निचले सदन में मत विभाजन के दौरान सदस्यों के वोट दर्ज करने के लिए पर्चियों की पुरानी प्रणाली का उपयोग करना पड़ा. साधारण विधेयक आमतौर पर ध्वनिमत से पारित किये जाते हैं. लेकिन संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक मत विभाजन के माध्यम से पारित होते हैं. डिजिटल वोटिंग प्रणाली में सदस्यों को वोट देने के दौरान समर्थन, विरोध या अनुपस्थित रहने के लिए अपने डेस्क पर बटन दबाने की आवश्यकता होती है. यह प्रक्रिया त्वरित है.
नई संसद में इसलिए नहीं हुई डिजिटल वोटिंग
सूत्रों ने बताया कि मत विभाजन के दौरान वोट दर्ज करने की डिजिटल वोटिंग प्रणाली का उपयोग नहीं किया जा सका. क्योंकि कुछ दलों ने अभी तक नए लोकसभा कक्ष के लिए सदस्यों की प्रभाग संख्या (डिविजन नंबर) नहीं भेजी है. मंगलवार को संसदीय कार्यवाही नए भवन में स्थानांतरित हो गई. चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक था, इसलिए यह देखने के लिए विशेष मतदान प्रक्रिया का उपयोग किया गया कि कितने सदस्य इसके पक्ष और कितने इसके विरोध में हैं.
सामान्यत: सदन में क्या होता है?
संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक मत विभाजन के माध्यम से पारित होते हैं. वहीं, पर्चियों में सदस्य अपना वोट दर्ज करने के लिए पर्ची के हरे या लाल पक्ष पर हस्ताक्षर करते हैं. परिणाम के लिए कार्यालय द्वारा पर्चियों की गिनती की जाती है. महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया. 454 सदस्यों ने इसका समर्थन किया और 2 सांसदों ने इसका विरोध किया.
गृह मंत्री का बयान
महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पास होने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक से राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जनगणना और परिसीमन की कार्रवाई पूरी की जाएगी. लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण से संबंधित कानून बहुत जल्द आकार लेगा. महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है.