एम के न्यूज / महेन्द्र शर्मा
नई दिल्ली
जून 2020 में गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़पों के बाद भारत और चीन के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, अभी तक दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बनी है। इस बीच खबर आ रही है कि चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दो बार हमले की कोशिश की। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने उनके नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिक्किम सीमा पर स्पेशल फोर्ट के एक अधिकारी ने पांच दिनों तक चीनी सैन्य गतिविधियों की जानकारी प्रदान की। ये असफल हमले जनवरी और नवंबर 2022 में हुईं, जब दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत जारी थी।
आपको बता दें कि भारतीय सेना के जवानों द्वारा चलाए गए इन खुफिया अभियानों की जानकारी तब सामने आई जब सेना की पश्चिमी कमान और मध्य कमान ने पिछले सप्ताह अलंकरण समारोह के दौरान अनजाने में प्रशस्ति पत्र में घोषित कर दिया। पश्चिमी कमान के अलंकरण समारोह का एक वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया गया था। हालांकि, बाद में हटा लिया गया था। मध्य कमान का वीडियो यूट्यूब पर अभी भी मौजूद है।
पश्चिमी कमान के अनुसार, चीनी सैनिकों ने 7 जनवरी 2022 को सिख लाइट इन्फैंट्री के सैनिकों द्वारा संचालित एक चौकी पर हमला किया। प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि वहां तैनात यूनिट के सैनिकों में से एक ने अत्यधिक साहस दिखाया और दुश्मन के साथ आमने-सामने की लड़ाई में शामिल होकर हमले को विफल करने में कामयाब रहा। इस जवाबी कार्रवाई में चार चीनी सैनिक घायल हो गए। उनके हथियार भी छीन लिए गए।
पीएलए ने 27 नवंबर 2022 को एक अन्य चौकी पर इसी तरह की कार्रवाई शुरू की थी। इस चौकी पर जम्मू-कश्मीर राइफल्स तैनात थी। एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) ने इस हमले को विफल करने में अपने सैनिकों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। इस दौरान वह घायल भी हो गया।
पहला हमला फरवरी 2021 में पैंगोंग त्सो से भारतीय और चीनी सैनिकों के हटने के लगभग एक साल बाद हुआ। जबकि दूसरा टकराव गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों को पीछे हटाने के दो महीने बाद हुआ। सितंबर 2022 में हुआ।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर दो अन्य गुप्त ऑपरेशन सेना द्वारा किए गए। इसमें दो अधिकारियों और एक सैनिक ने अत्यधिक जोखिमों, कठिन इलाकों और मौसम की विपरीत स्थिति के बावजूद अनुकरणीय साहस दिखाया।
सेना की ओर से इस मामले पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है। जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद भारतीय सेना 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के भड़कने के बाद पिछले साढ़े तीन वर्षों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एलएसी पर झड़प की कई घटनाएं हुईं।
तवांग सेक्टर में भी घुसपैठ की कोशिश
चीनी सैनिकों ने एलएसी के तवांग सेक्टर में भी घुसपैठ की कोशिश की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घटना के चार दिन बाद संसद में कहा कि नौ दिसंबर, 2022 को पीएलए सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी का उल्लंघन करने की कोशिश की और एकतरफा यथास्थिति बदल दी। सिंह ने कहा कि चीनी प्रयास का भारतीय सैनिकों ने दृढ़तापूर्वक और दृढ़ तरीके से मुकाबला किया।
टकराव के कारण हुई हाथापाई
सूत्रों ने बताया कि चीनी अतिक्रमण के प्रयास का दृढ़ता से जवाब देने वाली टीम का हिस्सा रहे कई भारतीय सैनिकों को भी अलंकरण समारोह में वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सिंह ने उस वर्ष 13 दिसंबर को कहा, ‘टकराव के कारण हाथापाई हुई और भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसने से रोका और उन्हें अपनी चौकी पर लौटने के लिए मजबूर किया।’ उन्होंने कहा कि हाथापाई के कारण दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को चोटें आईं।
सिंह ने कहा, ‘मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे भंग करने के किसी भी प्रयास को विफल करना जारी रखेंगी। मुझे विश्वास है कि यह पूरा सदन हमारे सैनिकों के बहादुरी भरे प्रयास में उनका समर्थन करने के लिए एकजुट रहेगा।’