एम के न्यूज / महेन्द्र शर्मा
नई दिल्ली
भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में श्रम उत्पादकता को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। एक अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण सदी के अंत तक भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में श्रम उत्पादकता 40 प्रतिशत तक कम हो सकती है। जिससे वैश्विक खाद्य उत्पादन पर खतरा पड़ सकता है। ग्लोबल चेंज बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया, पश्चिम-मध्य अफ्रीका और उत्तरी दक्षिण अमेरिका के अन्य क्षेत्रों में शारीरिक कार्य क्षमता 70 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है।
जलवायु परिवर्तन से फसलों की पैदावार में आएगी कमी
अमेरिका के इलिनोइस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गेराल्ड नेल्सन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से फसलों की पैदावार में कमी आएगी, जिससे खाद्य सुरक्षा चुनौतियां और भी बदतर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि केवल फसलें और पशुधन ही प्रभावित नहीं होंगे बल्कि कृषि श्रमिक जो हमारे लिए आवश्यक भोजन की बुआई-जुताई और कटाई करते हैं, उन्हें भी गर्मी के कारण नुकसान होगा। जिससे खेत में काम करने की उनकी क्षमता कम हो जाएगी।
श्रमिकों की प्रतिशत क्षमता में आई गिरावट
अध्ययन से पता चलता है कि कृषि श्रमिक पहले से ही गर्मी महसूस कर रहे हैं, क्योंकि दुनिया के आधे किसान हाल के वर्षों (1991-2010) में 86 प्रतिशत क्षमता से नीचे काम कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने कृषि श्रमिकों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए संभावित अनुकूलन पर भी विचार किया है।
रात के समय काम करने से होगा सुधार
उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष सौर विकिरण को कम करने के लिए रात के समय या छाया में काम करने से श्रमिकों की उत्पादकता में 5-10 प्रतिशत का सुधार होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, एक दूसरा विकल्प मशीनरी और उपकरणों के वैश्विक उपयोग को बढ़ाना है।