एम के न्यूज / महेन्द्र शर्मा
हाथरस
उत्तर प्रदेश में हाथरस के गांव लाडपुर में पद्म विभूषण तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी की राम कथा का आयोजन चल रहा है। यहां जगद्गुरु ने कथा के बीच में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि बिना क्रांति के हमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि नहीं मिलेगी। अब मुरली से काम नहीं चलेगा, अब सुदर्शन चक्र उठाना पड़ेगा। ब्रज भूमि को एक बार फिर क्रांतिमय बनाना होगा। बता दें कथा को सुनने के लिए हजारों की भीड़ एकत्रित हो रही है। दूसरे दिन भी उन्होंने राम कथा का वाचन किया और रामचरितमानस के कई प्रसंगों का वर्णन किया।
भगवान श्रीकृष्ण को भी अपने अपमान का बदला लेना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि अयोध्या में तो हमने राम मंदिर बना लिया। अब काशी विश्वनाथ और श्रीकृष्ण जन्मभूमि की बारी है। इस मौके पर भजन कीर्तन भी हुए और मनमोहक झांकियां भी प्रस्तुत की गई। लोग भक्ति में डूबे नजर आए और पूरा वातावरण राममय हो गया। रामभद्राचार्य जी की यह राम कथा 2 फरवरी तक चलेगी।
धीरेंद्र शास्त्री भी आएंगे
जनप्रतिनिधि और अन्य राजनेता भी उनकी रामकथा सुनने के लिए पहुंच रहे हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। कार्यक्रम के आयोजक अजय गुप्ता ने इन राजनेताओं और जनप्रतिनिधियों का स्वागत भी किया। इस राम कथा के दौरान बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री जी महाराज सहित कई बड़े संतों का आगमन प्रस्तावित है।
क्या है विवाद की वजह?
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद काफी पुराना है. विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है. 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था. इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी. बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है और 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया है. इस जमीन उनका दावा है. हिंदू पक्ष की ओर से ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और इस जमीन को भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.
क्या है मांग?
याचिकाकर्ता वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी अपील में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग की है. इस मामले में पहले सुनवाई योग्य बिंदुओं पर सिविल जज सीनियर डिविजन द्वारा सुनवाई की जा चुकी है. इस मामले में 8 दिसंबर को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता व दिल्ली निवासी उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने कोर्ट में दावा किया था कि ईदगाह का निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने भगवान कृष्ण की 13.37 एकड़ जमीन पर बने मंदिर को तोड़कर करवाया था. याचिका में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही मस्जिद ईदगाह के बीच वर्ष 1968 में हुए समझौते को भी चुनौती दी गई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय सोनिका वर्मा की अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस दिया.
बता दें कि मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में आती है. कानून के अनुसार, “किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाने और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने के लिए प्रदान करने के लिए एक अधिनियम, जैसा कि अगस्त 1947 के 15 वें दिन मौजूद था, और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए.”इस मामले में अब तक 13 मुकदमे विभिन्न अदालतों में दाखिल हुए थे, जिनमें दो मुकदमे खारिज भी हो चुके हैं.