एम के न्यूज / महेन्द्र शर्मा
नई दिल्ली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में बीमारी और इलाज से जुड़ी शब्दावली की कोडिंग कर दी है और इसकी मदद से अब सभी डॉक्टर अपनी पर्ची पर एक जैसी भाषा लिखेंगे। मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में रविवार को कहा कि आप में से कई लोग होंगे जिन्हें इलाज के लिए आयुर्वेद, सिद्ध या यूनानी की चिकित्सा पद्धति से मदद मिलती है, लेकिन इनके मरीजों को तब समस्या होती है, जब इसी पद्धति के किसी दूसरे डॉक्टर के पास जाते हैं। इन चिकित्सा पद्धतियों में बीमारी के नाम, इलाज और दवाइयों के लिए एक जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं होता है। हर चिकित्सक अपने तरीके से बीमारी का नाम और इलाज के तौर-तरीके लिखता है। इससे दूसरे चिकित्सक के लिए समझ पाना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है। दशकों से चली आ रही इस समस्या का भी अब समाधान खोज लिया गया है।
उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा से जुड़े डेटा और शब्दावली का वर्गीकरण किया है, इसमें, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मदद की है। दोनों के प्रयासों से आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में बीमारी और इलाज से जुड़ी शब्दावली की कोडिंग कर दी गयी है। इस कोडिंग की मदद से अब सभी डॉक्टर अपनी पर्ची पर एक जैसी भाषा लिखेंगे। इसका एक फायदा ये होगा कि अगर आप वह पर्ची लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर को इसकी पूरी जानकारी उस पर्ची से ही मिल जाएगी। आपकी बीमारी, इलाज, कौन-कौन सी दवाएं चली हैं, कब से इलाज चल रहा है, आपको किन चीज़ों से एलर्जी है, ये सब जानने में उस पर्ची से मदद मिलेगी। इसका एक और फायदा उन लोगों को होगा, जो शोध के काम से जुड़े हैं। दूसरे देशों के वैज्ञानिकों को भी बीमारी, दवाएं और उसके प्रभाव की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
उन्होंने कहा कि वह जब आयुष चिकित्सा पद्धति की बात करते हैं तो उनके आँखों के सामने यानुंग जामोह लैगो की तस्वीर आती हैं। सुयानुंग अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली हैं और हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं। इन्होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए काफी काम किया है। इस योगदान के लिए उन्हें इस बार पद्म सम्मान भी दिया गया है। इसी तरह इस बार छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी को भी पद्म सम्मान मिला है। वैद्यराज हेमचंद मांझी भी आयुष चिकित्सा पद्धति की मदद से लोगों का इलाज करते हैं। हमारे देश में आयुर्वेद और हर्बल मेडिसीन का जो खजाना छिपा है, उसके संरक्षण में सुयानुंग और हेमचंद जी जैसे लोगों की बड़ी भूमिका है।