एम के न्यूज / महेन्द्र शर्मा
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, आगजनी व सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान को लेकर High Court द्वारा लिए गए संज्ञान मामले में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने 407 एफआईआर वापस लेने की अनुमति को लेकर दाखिल Haryana सरकार की मांग का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इन 407 मामलों में से 129 को बेहद गंभीर बताया है, बावजूद इसके सरकार की मंशा आरोपियों को बचाने की है ताकि जाट वोटरों को साध सके।
गुरुवार को मामले की सुनवाई शुरू होते ही जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट High Court में पेश की गई। पिछली सुनवाई पर High Court ने मामले की जांच के लिए गठित SIT के प्रभारी IG अमिताभ ढिल्लों से मामले की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी।
कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने High Court को बताया कि इस मामले को लेकर कुल 2015 मामले दर्ज हैं, जिसमें से सरकार लगभग पांचवां हिस्सा 407 केस वापस लेना चाहती है। केस वापस लेने की अर्जी 2018 में दाखिल की गई थी और उस समय चुनाव का दौर था। अब दोबारा इस मांग को उठाया जा रहा है और चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में सरकार को इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि प्रकाश सिंह की कमेटी इन मामलों में से 129 को बेहद गंभीर बता चुकी है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कार्यवाहक चीफ जस्टिस GS संधावालिया व जस्टिस लुपिता बनर्जी पर आधारित डिवीजन बेंच ने सवाल उठाया कि एक SIT 2000 के करीब मामलों की जांच कैसे कर सकती है। कोर्ट ने सभी पक्षों को बहस के लिए चार सप्ताह का समय देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। अब अगली सुनवाई पर एफआईआर वापस लेने की मांग पर High Court निर्णय लेगा।
बीते दिनों Haryana सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के नेताओं पर दर्ज मामले वापस लेने पर विचार कर रही थी और संभावना थी कि इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार अर्जी को लेकर दोबारा अपनी मांग दोहराएगी।
The post High Court: जाट आरक्षण हिंसा में 407 मामलों के वापसी के विरोध, HC का सवाल – कैसे करेगी SIT 2015 के मामलों की जांच?” appeared first on Editor@political play India.