वाराणसी ।
आज पूरी दुनिया में लोग अस्थमा से प्रभावित हैं , प्रतिवर्ष मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष इसे 3 मई को मनाया जा रहा है।
मशहूर चिकित्सक डाक्टर संध्या यादव ने बताया की अस्थमा दिवस की शुरुआत 1993 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से की गई थी।
1998 में इस दिन का आयोजन 35 से अधिक देशों में किया गया था। इसका उद्देश्य दुनिया भर में अस्थमा जागरूकता में सुधार करना है । लोगों तक अस्थमा से जुड़ी सही जानकारी पहुंचाने एवं बीमारी के प्रति उन्हें जागरूक करने के लिए संपूर्ण विश्व में इस दिन का आयोजन होता है।
अस्थमा में जरूरी होता है कि सही समय पर रोग की पहचान की जाए। रोगी नियमित दवाइयों का सेवन करता रहे। स्वस्थ जीवनशैली और उचित खानपान की इस स्थिति पर काबू रखने में अहम भूमिका होती है।
गर्भावस्था में इस स्थिति मे विषेश सावधानी की जरुरत होतीहै । गर्भावस्था एक महिला के जीवन का एक ऐसा चरण है जहां पहले से मौजूद स्थिति में हर नए बदलाव को बहुत चिंता और आशंका के साथ देखा जाता है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण स्थिति है अस्थमा।
गर्भावस्था में अस्थमा को सावधानी से प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि इससे माँ और अजन्मे बच्चे दोनों में जटिलताएँ हो सकती हैं।
अस्थमा के लक्षणों में मुख्य रूप से सांस लेने में कठिनाई होने लगती है क्योंकि श्वास नलियों में सूजन आने के कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इसके अलावा खांसी, घबघराहट तथा सीने में जकड़न व भारीपन होना, फेफड़ों में लंबे समय तक कफ जमे रहना आदि भी अस्थमा के लक्षण हैं।