गाजीपंर ।
अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वाधन में लीला के दसवे दिन 30 सितम्बर शुक्रवार को वेद पुरवास्थित राजा शम्ंभूनाथ बाग के बाग में बनदेवाणी विनायको आदर्श रामलीला मण्डल के द्वारा लीला में शरभंग मुनि की गति , ऋषिमुनियो के हड्डीयों का ढेर देख श्रीराम का प्रतिज्ञा, निश्चर हीन करहुॅ महि भुज उठाई प्रण कीन्ह, भक्त सुतीक्ष्ण के प्रति राम का प्रेम एंव ऋषि अगस्तय मुनि से भेट जयसु से राम का भेट तथा पंवटी गमन लीला का भव्य मंचन देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए ।
लीला के दौरान ऋषि शरभंगमुनि अपने आश्रम पर भगवान के भजन में ध्यान मान थे उन के मन यही था कि प्रभु जरूर दर्शन देगें। यही सोचकर पद्मासन लगाकर बैठे रहे संयोग वश श्रीराम सीता लक्ष्मण वनवास काल में भ्रमण करते हुए शरभंग मुनि के आश्रम पहुचते है श्रीराम का दर्शन करके ऋषि अपने योग द्वारा अपने शरीर को त्याग कर देते है। श्रीराम उनका अंतिम श्रीराम दण्डक वन के लिए प्रस्थान करते है।
जहॉ भक्त सुतीक्ष्मण जी ध्यान मग्न थे श्रीराम उनके ह्दय में अपना स्थान बना लेते है। जब भक्त सुतीक्ष्णजी समाधि से बाहर आते है तो श्रीराम सीता लक्ष्मण का दर्शन करते है। श्रीराम भक्त सुतीक्ष्ण से अगस्त मुनि के आश्रम का पता पूछते है भक्तराज श्रीराम को साथ लेकर अगस्त मुनि के आश्रम पहुचकर अगस्तमुनि से श्रीराम के आने की सूचना देते है ।
सूचना पाकर श्रीराम का दर्शन करने अगस्तमुनि आश्रम के गेट पर आते है और श्रीराम सीता लक्ष्मण को आश्रम में ले जाते है। रास्ते में चलते चलते श्री राम का जटायु से भेट होता है जटायु ने श्रीराम का परिचय पूछते है। जब उन्होंने श्रीराम से सूना कि अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र है तो जटायु ने कहॉ कि हे राम आप पंचवटी में जाकर निवास करे ।
श्रीराम ने अपने पिता के मित्र जटायु की आज्ञा से पंचवटी के लिए प्रस्थान करते है। इसके बाद लीला के अन्त में श्रीराम के शोभा यात्रा लंका के लिए प्रस्थान कर देती है। वहॉ पहुचकर प्रभु श्रीराम ने अपने भक्तों का दशा अवतार का दर्शन कराया।
इस अवसर पर मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उपमंत्री पं0 लव कुमार त्रिवेदी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, प्रबन्धक वीरेश राम वर्मा, उपप्रबंधक मयंक तिवारी, कृष्ण बिहारी त्रिवेदी पत्रकार, राम सिंह यादव, इसके अलावॉ विश्वम्भर गुप्ता, पूनम यादव, इन्दु सिंह, जिला उपाध्यक्ष भाजपा अखिलेश सिंह आदि उपस्थिति रहे।