गुजरात में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दायर कर उन्हें सजा दिलाने वाले बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. उन्होंने उस मामले में एक कैविएट दायर की है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गांधी की अपील पर सुनवाई करने का फैसला किया है।
गुजरात हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी
गौरतलब है कि गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. साथ ही तल्ख टिप्पणियां भी कीं. जस्टिस हेमंत प्रचक ने कहा था कि राहुल के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं. मौजूदा मामले के बाद भी उनके खिलाफ कुछ अन्य मामले भी दर्ज किये गये थे. ऐसा ही एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है. जस्टिस ने आगे कहा था कि सजा से कोई अन्याय नहीं होगा. दोषसिद्धि न्यायसंगत एवं उचित है। पूर्व में पारित आदेश में हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है.
कैविएट याचिका क्या है?
कैविएट याचिका एक तरह का बचाव है ताकि कोर्ट किसी भी मामले में एकतरफा फैसला न दे। कैविएट याचिका सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 148 (ए) के तहत दायर की जाती है। यदि कोई पक्ष उपस्थित नहीं होता है तो न्यायालय ऐसे पक्ष को एक पक्षीय निर्णय सुनाता है। सरल शब्दों में समझा जाए तो एक वादी द्वारा कैविएट आवेदन यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि बिना सुने उसके खिलाफ कोई आदेश पारित न किया जाए।
यह है मामला
दरअसल, मार्च 2019 में राहुल गांधी द्वारा मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में सूरत कोर्ट ने उन्हें धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद राहुल की लोकसभा सदस्यता भी चली गई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है?’ इसे लेकर बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल ने अपनी टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया है. राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था.