प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार के साथ मंच साझा किया. प्रधानमंत्री मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में पवार शामिल हुए. प्रधानमंत्री को उनके ‘सर्वोच्च नेतृत्व’ और ‘नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाने’ के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
पवार ने मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था. ‘इंडिया’ के सदस्यों का मानना है कि ऐसे वक्त में जब भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर एक मोर्चा बनाया जा रहा है तो पवार का इस कार्यक्रम में शामिल होना विपक्ष के लिए अच्छा नहीं होगा. पवार ने उन सांसदों से मुलाकात नहीं की थी जो उन्हें इस समारोह में शामिल न होने के लिए मनाना चाहते थे.
1983 से दिया जा रहा है यह पुरस्कार
लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी. यह पुरस्कार हर साल एक अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है.
‘मेरे लिए यादगार पल’
लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने पर पीएम मोदी ने कहा, यह मेरे लिए एक यादगार पल है. उन्होंने कहा, ‘मैंने पुरस्कार राशि नमामि गंगे परियोजना को दान करने का फैसला किया है. मैं यह पुरस्कार देश के 140 करोड़ लोगों को समर्पित करना चाहता हूं.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी में लोकमान्य तिलक की भूमिका, उनके योगदान को चंद घटनाओं और शब्दों में समेटा नहीं जा सकता.
पीएम मोदी के खिलाफ प्रदर्शन
कुछ सामाजिक संगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने पीएम मोदी के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन किया. सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अदहव ने प्रदर्शन की अगुवाई की तथा प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे दिखाए.
विपक्षी गठबंधन के सदस्यों ने दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर से करीब 300 मीटर दूर मंडई में प्रदर्शन किया. मोदी ने पुणे पहुंचने के बाद इस मंदिर में पूजा-अर्चना की. कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), एनसीपी (शरद पवार गुट) और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने प्रदर्शन में भाग लिया.