मणिपुर उच्च न्यायालय ने जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी समुदाय के लोगों के शव सामूहिक रूप से दफनाए जाने के निर्धारित समय से कुछ घंटों पहले चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का गुरुवार को आदेश दिया.
इस बीच, कुकी-जोमी समुदाय के संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने भी कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुरोध के बाद अंत्येष्टि कार्यक्रम को सात दिन के लिए स्थगित कर रहा है.
सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े
अधिकारियों ने कहा कि वहीं सभाओं पर प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए एक जुलूस को प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल की ओर बढ़ने से रोकने के लिए गुरुवार को बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाकों में सेना तथा आरएएफ (त्वरित कार्य बल) कर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े. उन्होंने बताया कि इस दौरान झड़प में 25 लोग घायल हो गए.
इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेट ने एहतियाती कदम के तौर पर पहले घोषित कर्फ्यू में ढील को वापस ले लिया. वहीं, समूची इंफाल घाटी में कर्फ्यू जारी है.
हिंसा में मारे गए 35 लोगें के शव को दफनाने की थी योजना
इससे पहले आईटीएलएफ ने राज्य में जातीय हिंसा में मारे गए 35 लोगों के शव गुरुवार को हाओलाई खोपी गांव में एक स्थल पर दफनाने की योजना बनाई थी, जिससे मणिपुर के कई जिलों में तनाव पैदा हो गया था.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम.वी. मुरलीधरन और न्यायमूर्ति ए. गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत के मद्देनजर सुबह छह बजे सुनवाई शुरू की और अंत्येष्टि के लिए निर्धारित भूमि को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारों और उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसी तथा आम लोगों को ‘‘यथास्थिति बनाए रखने’’ का आदेश दिया.
न्यायमूर्ति मुरलीधरन ने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई नौ अगस्त को होगी. पीठ ने ‘उक्त जगह पर लोगों की भारी भीड़ एकत्र होने से हिंसा एवं रक्तपात फिर से भड़कने तथा कानून-व्यवस्था की पहले से अस्थिर स्थिति के और गंभीर होने की आशंका’ पर भी गौर किया.
पीठ ने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और पीड़ित पक्षों को मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के प्रयास करने का निर्देश भी दिया जाता है.
पत्रकारों को जानकारी देते हुए मणिपुर के कानून एवं विधायी कार्य मंत्री टी. बसंतकुमार ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी ‘दोनों संघर्षरत समुदायों- कुकी और मेइती- से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की.’
मंत्री ने केंद्रीय मंत्री के पत्र को उद्धृत करते हुए कहा, ‘भारत सरकार ने मणिपुर में जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के मुद्दे को भी उठाया और आश्वासन दिया कि वह सात दिनों की अवधि के भीतर सभी पक्षों की संतुष्टि के लिए इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.’
क्या कहा आईटीएलएफ ने?
आईटीएलएफ के एक प्रवक्ता ने बताया कि मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने भी यही अनुरोध किया है. आईटीएलएफ के मीडिया संयोजक गिंजा वुआलजोंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने एक नए घटनाक्रम के कारण कल रात से सुबह चार बजे तक बैठक की. एमएचए (गृह मंत्रालय) ने हमसे अंत्येष्टि कार्यक्रम को स्थगित करने का अनुरोध किया और यदि हम इस आग्रह को स्वीकार करते हैं तो हमें उसी स्थान पर (35 लोगों के) अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिल जाएगी तथा सरकार उस जमीन को इस कार्य के लिए वैध बना देगी. मिजोरम के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही अनुरोध किया था.’
आईटीएलएफ पदाधिकारियों ने पहले दिन में कहा था कि उन्होंने योजना को पांच दिनों के लिए स्थगित कर दिया है, हालांकि बाद में उनकी तरफ से कहा गया कि उन्होंने केंद्र सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है तथा इसे दो दिनों के लिए और बढ़ा दिया है.
वुआलजोंग ने कहा, ‘विभिन्न पक्षकारों के साथ देर रात लंबे विचार-विमर्श के बाद आईटीएलफ इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि हम गृह मंत्रालय के अनुरोध पर विचार करेंगे, बशर्ते वह हमारी पांच मांगों पर लिखित में आश्वासन दें.’
चुराचांदपुर में एस. बोलजांग में अंत्येष्टि स्थल को वैध बनाना और मणिपुर के पहाड़ी जिलों से मेइती समुदाय के कर्मियों सहित राज्य बलों की वापसी कुकी-जोमी संगठन द्वारा की गई पांच मांगों में शामिल थी.
इससे पहले, आईटीएलएफ की अंत्येष्टि संबंधी योजना के बाद बिष्णुपुर-चुराचांदपुर जिले में अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों को भेजा गया था. पुलिस ने बताया कि गुरुवार सुबह इंफाल पश्चिम जिले के सेनजम चिरांग में हुई गोलीबारी में मणिपुर राइफल्स के एक पुलिसकर्मी समेत दो लोग घायल हो गए.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एक अन्य घटनाक्रम में, बदमाशों ने बिष्णुपुर जिले के नारानसेना में दूसरी भारतीय रिजर्व बटालियन चौकी से हथियार और गोला-बारूद लूट लिये.
उपद्रवियों के एक अन्य समूह ने इंफाल में द्वितीय मणिपुर राइफल्स परिसर से हथियार और गोला-बारूद लूटने का प्रयास किया, लेकिन उस शिविर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के कई गोले दागकर इस प्रयास को विफल कर दिया.
हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा की मौत
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
बिष्णुपुर जिले में सुबह से ही तनाव व्याप्त था, क्यों कि सैकड़ों स्थानीय लोग अंत्येष्टि स्थल की ओर जाने और सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों पर निकल आए थे.
महिलाओं के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने सेना और आरएएफ कर्मियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड को पार करने की कोशिश की थी, और मांग की कि उन्हें अंत्येष्टि स्थल तक जाने की अनुमति दी जाए.
सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे लोग घायल हो गए.
मणिपुर पुलिस ने ट्वीट किया, पिछले 24 घंटों में, पहाड़ी और घाटी दोनों क्षेत्रों में विभिन्न जिलों में 130 चौकियां स्थापित की गईं और पुलिस ने विभिन्न उल्लंघनों के सिलसिले में 347 लोगों को हिरासत में लिया.