हमारे देश के नेतागण अक्सर, अपने भाषणों में ऐसा कुछ बोल जाते हैं, जो उनके लिए मुसीबत का सबब बन जाता है. राहुल गांधी इसका सबसे ताजा उदाहरण थे. कर्नाटक के कोलार में हुई एक चुनावी सभा के दौरान राहुल गांधी ने जोश में आकर बोल दिया था कि ‘इन सब चोरों के नाम मोदी-मोदी कैसे है? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी थोड़ा ढूंढेंगे तो और बहुत सारे मोदी मिलेंगे.’ इस बयान में जोश तो था ही, इसके अलावा इसमें मोदी सरनेम वाले लोगों पर कटाक्ष भी था. देश के लोग जानते हैं, कि राहुल गांधी कौन से मोदी की तरफ इशारे में कटाक्ष कर रहे थे. हालांकि, राहुल गांधी ये नहीं जानते थे कि उनका ये बयान, उनकी संसद सदस्यता छीन सकता है.
जब छिन गई राहुल की लोकसभा सदस्यता
इसी वर्ष 23 मार्च को राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में अल्प विराम आ गया था. दरअसल, उन्हें मानहानि केस में सूरत की Chief Judicial Magistrate Court ने दोषी मानते हुए 2 वर्ष की सजा सुना दी थी. इस फैसले के अगले दिन ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिन गई थी.
राहुल गांधी को बड़ी राहत
पिछले करीब 130 दिनों से राहुल गांधी, कांग्रेस के एक सामान्य नेता बन गए थे, वो संसद नहीं रहे थे. कर्नाटक के वायनाड की जनता ने उन्हें चुनकर संसद में भेजा था लेकिन इस केस ने राहुल से उनकी संसद सदस्यता तो छिनी ही थी, वायनाड की जनता से उनका प्रतिनिधित्व भी छीन लिया था लेकिन आज का दिन राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए खुशी का दिन है. दरअसल, आज इस मामले में दोषसिद्धी पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत दी. बहुत से लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर ये मान रहे हैं कि राहुल गांधी मानहानि केस से बरी हो गए हैं. जबकि, ऐसा नहीं है! हम आपको समझाते हैं कि कैसे राहुल गांधी अभी भी इस केस में आरोपी बने रहेंगे लेकिन उनकी संसद सदस्यता दोबारा वापस आ सकती है.
Session Court से नहीं मिली थी राहत
राहुल गांधी को 23 मार्च 2023 को सूरत की Chief Judicial Magistrate Court ने मानहानि केस में दोषी माना था और उन्हें 2 साल की सजा सुना दी थी. दोषी पाए जाने के अगले ही दिन, लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी. सजा के ऐलान को लेकर राहुल गांधी के वकीलों ने Session Court का रुख किया था. Session Court ने राहुल गांधी को दी गई, 2 साल की सजा पर रोक लगा दी लेकिन मानहानि केस में उनकी दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगाई.
मानहानि केस से बरी हुए राहुल गांधी
Session Court के बाद राहुल के वकीलों ने हाईकोर्ट का रुख किया. High Court ने भी राहुल की सजा पर रोक को बरकरार रखा लेकिन दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगाई. दोषसिद्धी को खारिज करने की अपील लेकर राहुल के वकीलों ने Supreme Court का रुख किया. Supreme Court ने अबकी बार राहुल गांधी की दोषसिद्धी पर रोक लगा दी. Supreme Court की ओर से दोषसिद्धी पर रोक लगाए जाने का मतलब ये नहीं है कि राहुल गांधी को मानहानि केस से बरी कर दिया गया है.
दोषसिद्धी और दोषी होने में क्या कानूनी फर्क है?
राहुल गांधी को इस केस से राहत तो मिली है लेकिन ये केस उनके जी का जंजाल बना रहेगा. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसकी भी एक वजह है. जैसे मानहानि का ये केस अभी भी Session Court में चल रहा है. कानून प्रक्रिया का पालन करते हुए Session Court का फैसला आने के बाद तय होगा कि राहुल गांधी के साथ क्या होगा. Session Court का फैसला आने के बाद मामला High Court पहुंच सकता है. अगर High Court का कोई फैसला आया तो फिर इसके बाद Supreme Court में सुनवाई हो सकती है यानी एक लंबी कानूनी प्रक्रिया बाकी है.
कांग्रेस और I.N.D.I.A में खुशी की लहर
इस सबके बावजूद दोषसिद्धी पर रोक लगने पर राजनीतिक रूप से राहुल गांधी को एक बड़ी राहत मिली है. यही वजह है कि कांग्रेस और I.N.D.I.A में खुशी की लहर है. वजह ये है कि अब राहुल गांधी दोबारा से संसद में बैठने के योग्य हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब राहुल गांधी की संसद सदस्यता दोबारा बहाल हो सकती है. ‘दोषसिद्धी’ ही, राहुल की राजनीतिक राह में सबसे बड़ा रोड़ा था जो सुप्रीम कोर्ट ने दूर कर दिया.
संसद में आने के लिए तैयार राहुल?
इस फैसले से एक लाभ ये भी है कि अब राहुल गांधी वर्ष 2024 या उसके बाद के चुनाव भी लड़ सकेंगे. अगर दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगती तो राहुल गांधी करीब 8 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ पाते यानी एक तरह से वो देश की मुख्यधारा की राजनीति से गायब हो जाते. सुप्रीम कोर्ट से मिली इस राहत के बाद राहुल गांधी एक बार फिर जोश के साथ संसद में आने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं.
जल्द संसद सदस्यता हो सकती है बहाल
Supreme Court के फैसले के बाद राहुल गांधी को ये उम्मीद होगी कि उनकी संसद सदस्यता जल्दी बहाल कर दी जाएगी. वो ये भी मानकर चल रहे होंगे कि वो अविश्वास प्रस्ताव की बहस और वोटिंग में हिस्सा ले पाएंगे. Supreme Court के फैसले के बाद राहुल की सदस्यता बहाली का रास्ता तो साफ हो गया है, लेकिन लोकसभा Speaker एक निश्चित समय में उनकी सदस्यता बहाल करने के लिए बाध्य नहीं हैं.
सदस्यता की बहाली में है राजनीतिक अडंगा
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की सदस्यता पर फैसला लोकसभा स्पीकर, Supreme Court के फैसले के गहन अध्ययन के बाद ही लेंगे. यानी अगर देखा जाए, तो राहुल गांधी की सदस्यता की बहाली में राजनीतिक अडंगा आ सकता है. वजह ये है कि सदस्यता बहाली की समय सीमा को लेकर कोई नियम नहीं है. सदस्यता बहाली के लिए स्पीकर कितना भी समय ले सकता है और सदस्यता बहाली लोकसभा अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करता है.
क्या था सांसद मोहम्मद फैजल का मामला?
अब लोकसभा स्पीकर का गहन अध्ययन कब तक चलेगा, ये कहना मुश्किल है. इससे जुड़ा एक किस्सा भी हम आपको सुनाना चाहते हैं. इस तरह के एक मामले में लक्ष्यद्वीप के NCP सांसद मोहम्मद फैजल एक बड़ा उदाहरण हैं. 11 जनवरी 2023 को लक्ष्यद्वीप की कवरत्ती जिला अदालत ने हत्या की कोशिश के एक मामले में मोहम्मद फैजल को दोषी मानते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद 13 जनवरी को उनकी लोकसभा सदस्यता खारिज कर दी गई थी. जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मोहम्मद फैजल ने केरल High Court में अपील की थी जिसने 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धी और सजा पर रोक लगा दी थी.
कैसे होगी लोकसभा सदस्यता बहाल?
इसके बाद मोहम्मद फैजल ने लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग की थी लेकिन लोकसभा Speaker ने लगभग 2 महीने तक इस मामले में कोई Action नहीं लिया था. इसके बाद मोहम्मद फैजल ने Supreme Court में अपील की थी. हालांकि, जिस दिन Supreme Court में सुनवाई होनी थी, उससे कुछ घंटे पहले ही लोकसभा Speaker ने उनकी सदस्यता बहाल कर दी थी. इससे ये पता चलता है कि लोकसभा सदस्य की बहाली को लेकर लिया जाने वाला फैसला Speaker के विवेक पर निर्भर करता है. बहाली का फैसला लेने को लेकर लोकसभा Speaker समय सीमा में बंधा हुआ नहीं है. यही वजह है कि आज की Press Confrence में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विशेष तौर पर इसको लेकर टिप्पणी की थी.
आज हुई शीर्ष अदालत में हुई सुनवाई
मानहानि केस में Supreme Court में आज हुई सुनवाई काफी रोचक थी. राहुल गांधी के वकीलों की कोशिश ये थी कि किसी भी तरह से उनकी राजनीतिक यात्रा चलती रहे. इसके लिए दोषसिद्धी पर रोक लगना जरूरी था. वहीं, दूसरे पक्ष की कोशिश थी कि दोषसिद्धी पर रोक ना लगे. इस केस में Supreme Court ने जिरह के लिए दोनों पक्ष को 15-15 मिनट का समय दिया था. इस मामले में राहुल गांधी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दीं, जिसमें उन्होंने कुछ खास बातें रखीं. उन्होंने कहा कि अलग-अलग जाति के लोग मोदी सरनेम का इस्तेमाल करते हैं, इनका कोई निर्धारित वर्ग नहीं है.
फैसले पर रोक लगना क्यों है जरूरी?
हालांकि, कोर्ट ने उनसे कहा कि वो मुख्य मुद्दे पर आएं, मुद्दा है ‘दोषसिद्धी के फैसले पर रोक लगना क्यों जरूरी है?’ कोर्ट के कहने पर सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि 3 पेज की Speech में महज एक लाइन है, जिसको लेकर केस दायर किया गया है. ये केस भी उन लोगों ने नहीं किया है, जिनके नाम भाषण में लिए गए हैं. बल्कि, ये केस पुरनेश मोदी ने किया था, जिनके नाम का जिक्र भाषण में नहीं था.
अभिषेक मनु सिंघवी ने दी दलील
सिंघवी ने कोर्ट से ये भी कहा कि राहुल पर समाज के खिलाफ जाने वाला कोई भी अपराध दर्ज नहीं है लेकिन इस केस में शिकायत करने वाले ने राहुल को अपराधी करार दे दिया है. राहुल के खिलाफ जितने भी मुकदमे हैं वो राजनीतिक विरोध की भावना से दायर किए गए हैं. दोषसिद्धि की वजह से राहुल गांधी संसद भी नहीं जा पा रहे हैं. अभिषेक मनु सिंघवी की दलील के बाद बारी आई महेश जेठमलानी थी, जो पुरनेश मोदी की ओर से मौजूद थे.