प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और नए विपक्षी गठबंधन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष के साथियों के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। कुछ ही दिन पहले बंगलुरू में आपने मिल-जुलकर करीब 1.5-2 दशक पुराने UPA का क्रिया कर्म किया है, उसका अंतिम संस्कार किया है। लोकतांत्रित व्यवहार की मुताबिक मुझे आप लोगों को सहानुभूति व्यक्त करनी चाहिए थी। आइए जानते हैं उन्होंने क्या-क्या कहा…
1. यह घमंडिया गठबंधन है
‘यह इंडिया गठबंधन नहीं, घमंडिया गठबंधन है और इसकी बारात में हर कोई दुल्हा बनना चाहता है। सबको प्रधानमंत्री बनना है। इस गठबंधन ने यह भी नहीं सोचा कि किस राज्य में आप किसके साथ हैं। पश्चिम बंगाल में आप तृणमूल, लेफ्ट के खिलाफ हैं, दिल्ली में एकसाथ हैं। अधीर बाबू, 1991 में बंगाल विधानसभा चुनाव में इन्हीं कम्युनिस्ट पार्टी ने क्या व्यवहार किया था? आज भी इतिहास में दर्ज है। पिछले साल केरल के वायनाड में जिन लोगों ने कांग्रेस के कार्यालय में तोड़फोड़ की, ये लोग उनके साथ दोस्ती करके बैठे हैं। बाहर से तो लेबल बदल सकते हैं, लेकिन पुराने पापों का क्या होगा? यही पाप आपको लेकर डूबे हैं। आप जनता जनार्दन से यह पाप कैसे छुपा पाओगे। अभी हालात ऐसे हैं, इसलिए हाथों में हाथ, जहां हालात तो बदले, फिर छुरी आगे निकलेगी।’
2. डेढ़-दो दशक पुराने यूपीए का क्रिया-कर्म
‘मैं आज इस मौके पर हमारे विपक्ष के साथियों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त करना चाहता हूं। कुछ ही दिन पहले बेंगलुरु में आपने मिल-जुलकर करीब-करीब डेढ़-दो दशक पुराने यूपीए का क्रिया-कर्म किया है। उसका अंतिम संस्कार किया है। मुझे तभी आपको सहानुभूति व्यक्त करनी चाहिए थी, लेकिन देरी में मेरा कसूर नहीं है क्योंकि आप खुद ही एक ओर यूपीए का क्रिया-कर्म कर रहे थे, दूसरी ओर जश्न भी मना रहे थे।’
3. खंडहर पर नया प्लास्टर
‘जश्न भी किस बात का? खंडहर पर नया प्लास्टर लगाने का। दशकों पुरानी खटारा गाड़ी को इलेक्ट्रिक व्हीकल दिखाने के लिए इतना बड़ा मजमा लगाया। मजेदार ये कि मजमा खत्म होने से पहले ही उसका क्रेडिट लेने के लिए आपमें सिर फुटव्वल शुरू हो गई। मैं हैरान था कि ये गठबंधन लेकर आप जनता के बीच जाएंगे, मैं विपक्ष के साथियों को कहना चाहता हूं कि आप जिसके पीछे चल रहे हो, उसको इस देश की जबान, देश के संस्कार की समझ ही नहीं बची है।’
4. राजीव गांधी पर तंज- ये लोग लाल मिर्च और हरी मिर्च का फर्क नहीं समझ पाए
‘पीढ़ी दर पीढ़ी ये लोग लाल मिर्च और हरी मिर्च का फर्क नहीं समझ पाए। लेकिन आप में से कई साथियों को मैं जानता हूं, आप भारतीय मानस को जानने वाले लोग हैं। भेष बदलकर धोखा देने वालों की फितरत सामने आ गई है। दूर युद्ध से भागते, नाम रखा रणधीर, भागचंद की आज तक सोई है तकदीर। इनकी मुसीबत ऐसी है कि खुद को जिंदा रखने के लिए इन्हें एनडीए का ही सहारा लेना पड़ा है। लेकिन घमंड का आई (I) इन्हें छोड़ता नहीं है। इन्होंने दो-दो I रख लिए। पहला I 26 दलों का घमंड, दूसरा I एक परिवार का घमंड। NDA भी चुरा लिया, इंडिया के भी टुकड़े कर लिए।’
5. रणनीति में फिर आया दक्षिण
‘कांग्रेस के सहयोगी दल, अटूट साथी तमिलनाडु सरकार के एक मंत्री दो दिन पहले ही कह चुके हैं कि इंडिया उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। उनके मुताबिक तमिलनाडु तो भारत में है ही नहीं। तमिलनाडु वह प्रदेश है, जहां से हमेशा देशभक्ति की धाराएं निकली हैं। जिस तमिलनाडु ने अब्दुल कलाम दिए, वहां से ऐसा बयान दिया गया।’
6. नाम का चश्मा पुराना है
‘नाम को लेकर उनका यह चश्मा आज का नहीं है। यह दशकों पुराना चश्मा है। इन्हें लगता है कि नाम बदलकर देश पर राज कर लेंगे, अस्पतालों में नाम उनके हैं, लेकिन इलाज नहीं है। सड़कों-पार्क, गरीब कल्याण की योजनाओं, खेल पुरस्कारों पर उनका नाम। अपने नाम से योजनाएं चलाईं और उन योजनाओं में हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार किए। अपनी कमियों को ढंकने के लिए चुनाव चिह्न भी चुरा लिया, लेकिन फिर भी पार्टी का घमंड ही दिखता है। 2014 से डिनायल मोड में हैं। पार्टी के संस्थापक एओ ह्यूम, जो विदेशी थे। 1920 में भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊर्जा मिली, नया ध्वज मिला। देश ने उस ध्वज को अपना लिया। रातों-रात कांग्रेस ने उस ध्वज की ताकत देखकर उसे भी छीन लिया। 1920 से यह खेल चल रहा है। वोटरों को लुभाने के लिए गांधी नाम भी चुरा लिया। चुनाव चिह्न देखिए दो बैल, गाय-बछड़ा, फिर हाथ का पंजा।’
7. कांग्रेस को दरबारवाद पसंद है
‘कांग्रेस को परिवारवाद पसंद है, दरबारवाद पसंद है। जब तक आप इस महफिल में दरबारी नहीं बनोगे, यही कार्यशैली रहेगी। इस दरबार सिस्टम ने कई विकेट लिए हैं, कितनों का हक मारा है। बाबा साहेब अंबेडकर को कांग्रेस ने जी-जान लगाकर दो बार हरवाया। वे उनके कपड़ों का मजाक उड़ाते थे। बाबू जगजीवन राम ने इमरजेंसी पर सवाल उठाए तो उन्हें भी नहीं छोड़ा। मोरारजी भाई देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर। दूसरे नेताओं की 1990 में पोर्ट्रेट तब संसद लगी, जब हमारे समर्थन से सरकार आई। नेताजी की पोर्ट्रेट 1978 की तब लगी जब गैर-कांग्रेसी सरकार थी। सरदार पटेल को समर्पित विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का गौरव प्राप्त हुआ। हमारी सरकार ने पीएम म्यूजियम बनाकर सारे दलों को सम्मान दिया। यह सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित है।’