धरती से लाखों किलोमीटर दूर मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अपने अंतिम पड़ाव पर है. विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग प्रक्रिया के साथ ही आने वाली कुछ दिन विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के लिए बेहद अहम होने वाले हैं. चंद्रयान का ये सफर हर मुश्किल चुनौतियों को पार कर यहां तक पहुंचा है और आगे भी इसका सफर जारी है तो अब चांद (Moon) पर तिरंगा फहरना तय है. हर कठिन से कठिन प्रक्रिया और हर मुश्किल भरे रास्तों को आसानी से पार करते हमारा चंद्रयान-3 चांद के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है.
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी सॉफ्ट लैंडिंग
जान लें कि चंद्रयान-3 का लैंडर अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग से महज 4 दिन दूर है. शुक्रवार इस मिशन की सफलता में एक और कामयाबी मिली. जब विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग प्रक्रिया सफल रही यानी शुक्रवार को स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को कम किया गया. इतना ही नहीं विक्रम लैंडर को अभी भी कई बड़ी चुनौतियों से निपटना है.
ऐसे लैंड होगा चंद्रयान-3
बता दें कि 20 अगस्त को लैंडर की दोबारा डीबूस्टिंग की जाएगी. जिसके बाद विक्रम लैंडर की चांद से न्यूनतम दूरी सिर्फ 30 किलोमीटर रह जाएगी. फिर 23 अगस्त के चांद की सतह पर लैंड करेगा. लेकिन इससे पहले लैंडर की रफ्तार को 2 किलोमीटर प्रति सेकंड से घटाकर बिल्कुल शून्य किया जाएगा जो एक जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया होगी.
सूर्य भी करेगा मदद
20 अगस्त के बाद लैंडर उस चरण में होगा जहां वो अपने इंटेलिजेंस से तय करेगा कि उसे कब क्या करना है. ऐसे में इस मिशन की सबसे ज्यादा मदद कोई करेगा तो वो हैं सूर्यदेव यानी 23 अगस्त को शाम साढ़े पांच बजे के आसपास सूर्योदय होने के साथ ही विक्रम लैंडर सूरज की रोशनी और ताकत का इस्तेमाल कर अपना मिशन को ओर आगे बढ़ाएगा.
चंद्रयान-3 ने भेजीं चांद की तस्वीरें
इस मिशन में प्रज्ञान रोवर अगले 14 दिन तक अपनी जिम्मेदारियों को निभाएगा. रोवर दोनों ही पावर जेनरेट करने के लिए सोलर पैनल यूज करेंगे. अभी चंद्रमा पर रात है और 23 तारीख को सूर्योदय होगा. अब आपको लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की जो तस्वीरें ली हैं वो दिखाते हैं जिसे इसरो ने अपने ट्विटर से साझा किया है. चांद की ताजा तस्वीरें एकदम क्लियर हैं, जिन्हें देखकर लग रहा है कि विक्रम लैंडर चांद के बेहद करीब है.
गौरतलब है कि चंद्रयान-3 के लैंडर इमेजर में लगे कैमरा-1 से 17 अगस्त को ये तस्वीर ली गई थी जिसमें चांद की सतह साफ तरीके से नजर आ रही है. तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारा विक्रम लैंडर चांद के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है. अब आपको एक खास बात और बता दें कि इस बार इसरो ने गलती से भी कोई गलती ना हो इसका भी पूरा इंतजाम किया गया है. यानी इस बार चांद की धरती पर कदम रखने में गलति की कोई गुंजाइश नहीं है. चंद्रयान मिशन-2 ने चांद से आखिर 2 किलोमीटर दूर अपना मिशन अधूरा छोड़ था. इस मिशन की क्रैश लैंडिंग हुई थी. लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए लैंडर की तकनीक में बड़ा बदलाव किया है.
विक्रम लैंडर के लेग्स को बहुत मजबूत बनाया गया है. अगर विक्रम को किसी बड़े गड्ढे में भी लैंडिंग करनी पड़े तो उसे कोई मुश्किल नहीं आएगी. लैंडर के बाहर एक खास कैमरा लगाया गया है इसे एलडीएफ कहते हैं. इस लेजर की रोशनी लगातार चांद को छूती रहेंगी. इसरो के कंट्रोल रूम में बैठे वैज्ञानिक का इस पर पूरा नियंत्रण रहेगा. चंद्रयान-3 के अबतक के सफर को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब वो दिन दूर नहीं जब चांद पर हमारा तिरंगा शान से लहराएगा.