पूरा देश आज शिक्षक दिवस (Teachers Day) मना रहा है. इस मौके पर आप भी अपने टीचर को खास संदेश देकर विश कर रहे होंगे. आपको शिक्षित करने के लिए धन्यवाद दे रहे होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है और उसकी शुरुआत कब हुई थी? जान लीजिए कि देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति व भारत रत्न से सम्मानित डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्मदिन के मौके पर देश में हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है. ऐसा क्यों किया जाता है, आइए इसके बारे में जानते हैं.
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे?
बता दें कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को हुआ था. जान लें कि डॉ. राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. उन्होंने साल 1917 में द फिलॉसफी ऑफ रवीन्द्रनाथ टैगोर (The Philosophy Of Rabindranath Tagore) नाम की एक किताब भी लिखी थी. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1931 से 1936 तक आंध्र यूनिवर्सिटी के वीसी रहे और फिर 1939 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वीसी बने थे. सन् 1954 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. 1962 से 1967 तक वे भारत के राष्ट्रपति रहे.
5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस क्यों?
बता दें कि साल 1962 में जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद उनके छात्र 5 सितंबर यानी उनके जन्मदिन को एक विशेष दिन के तौर पर मनाने की अनुमति मांगने उनके पास पहुंचे थे. तब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने समाज में टीचर्स के अमूल्य योगदान को स्वीकार करने के लिए 5 सितंबर यानी अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस (Teachers Day) के तौर पर मनाने की अपील की. डॉ. राधाकृष्णन ने एक बार ये भी कहा था कि टीचर्स को देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाला होना चाहिए. इसी के बाद से हर साल 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन स्कूलों, कॉलेजों और सभी शैक्षणिक संस्थानों में टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है.