शक्ति को दुर्गा, चंडिका, चामुंडा, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, शैलपुत्री, चन्द्रघंटा विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, किंतु वह सब एक ही हैं. विभिन्न काल और अवस्थाओं में उन्हें अपने को इन रुपों में प्रकट किया है. नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ हो रहे हैं जो 24 अक्टूबर तक चलेंगे.
सोच में उपस्थित हैं मां
शक्ति स्वरूपा देवी को केवल भारतीय लोग ही नहीं स्वीकारते हैं, बल्कि संसार के प्रत्येक प्राणी की सोच में यह उपस्थित है. अर्धनारीश्वर की अवधारणा कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि एक ऐसा सत्य है, जो जीव से लेकर अनंत ब्राह्मांड तक दो आकर्षणीय स्वरूपों में विद्यमान है. इन्हें कोई नर और मादा, धन और ऋण, शिव और शक्ति के नाम से जाना जाता है.
दो प्रकार की शक्तियां
12 राशियों, 27 नक्षत्रों नवग्रहों या द्वादस ग्रहों में भी योगात्मिका और क्षयात्मिका शक्तियां रहती हैं. ये शक्तियां ही सृष्टि क्रिया को निरंतरता प्रदान कर लोगों को प्रगति या अवनति का आभास कराती हैं. सामान्य दृष्टि से शक्ति को सामर्थ्य का पर्यायवाची समझा जाता है और अपनी सामर्थ्य की उपासना करने वाला कभी निराश नहीं हो सकता है. ज्योतिषीय फलादेश चाहे ग्रह नक्षत्रों को आधार मानकर दिया जाए या फिर सामुद्रिक शास्त्र के आधार पर, दोनों में संहारक और निर्णयात्मक शक्तियों का बोलबाला रहता है.
ये दोनों ही शिव शक्ति स्वरूपा हैं. जन्म कुंडली के स्वरूप को ही लें तो लग्न से सप्तम तक शक्ति खंड होता है और सप्तम से लग्न तक शिव भाग माना जाता है. शक्तिभाग अधोगामी यानी नीचे की ओर आता होता है तो शिवभाग उर्ध्वगामी यानी ऊपर की ओर जाता हुआ होता है. दोनों ही स्थितियां खगोल के उर्ध्व तथा अधोभाग को बताने वाली हैं. स्त्री ग्रह पुरुष भाग में तथा पुरुष ग्रह स्त्री भाग में शक्ति सम्पन्न देखे गए हैं.