कनाडा से तनाव के बीच अमेरिका गुगली खेलने से बाज नहीं आ रहा. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन कुछ कहते हैं, पेंटागन के ऑफिसियल के बोल कुछ होते हैं. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी दोनों देशों के साथ अपने मुल्क के रिश्ते की बात करते हैं, चट्टान जैसा मजबूत रिश्ता बताते हैं. साथ ही में किंतु परंतु के जरिए भारत को नसीहत भी देते हैं. इन सबके बीच दिल्ली में 13वीं इंडो पैसिफिक आर्मीज चीफ्स कांफ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि इस रीजन के सदस्य देशों के सामने चुनौतियों की कमी नहीं है. हमे यह देखना होगा कि उनसे निपटने का तरीका किस तरह का हो.
IPAC में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसमें दो मत नहीं कि इंडो पैसिफिक रीजन में सुरक्षा के मद्देनजर आने वाली चुनौतियां बेहद जटिल है. इन सबके बीच इस रीजन में आने वाले भूराजनीतिक नजरिए से महत्वपूर्ण हैं. यहां सीमा विवाद, और पाइरेसी एक बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस रीजन में जो देश हैं उनके सामने क्लाइमेट चेंज की वजह से होने वाली दिक्कतें भी बड़ी चुनौती हैं. जो छोटे छोटे देश हैं उनके बारे में सोचने की अधिक आवश्यकता है. इंडो पैसिफिक रीजन का महत्व ना सिर्फ समुद्री व्यापार तक सीमित है बल्कि इसके राजनीतिक, सुरक्षा और कूटनीतिक आयाम भी हैं.
क्या है इंडो पैसिफिक रीजन
- इंडो पैसिफिक रीजन में करीब 40 देश और उनकी अर्थव्यवस्थाएं हैं.
- 13वां इंडो पैसिफिक आर्मीज चीफ्स कांफ्रेंस का आयोजन दिल्ली में हो रहा है.
- इंडो पैसिफिक रीजन में दुनिया की करीब 65 फीसद आबादी.
- दुनिया की जीडीपी में करीब 63 फीसद का योगदान.
- करीब 46 फीसद मर्कैंडाइज ट्रेड.
- 50 फीसद दुनिया का मैरिटाइम ट्रेड शामिल है.
एरिक गार्सेटी ने क्या कहा
कनाडा-भारत तनाव पर भारत में अमेरिका के राजजूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि दोनों मुल्कों के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं, हम सबको यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी देश की संप्रभुता, सुरक्षा और रिश्ते नकारात्मक शक्ल ना अख्तियार करें. उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारे रिश्ते बेहद मजबूत हैं. हम यह चाहते हैं कि हमारे रिश्तों को और एक नई ऊंचाई मिले. इसके लिए हमें यह देखना होगा कि विवादित मुद्दे कोई और शक्ल ना लें.
बता दें कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर मर्डर केस में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंसियों के हाथ होने का जिक्र हाउस ऑफ कामंस में किया था. यही नहीं एक भारतीय राजनयिक को भी ट्रूडो सरकार ने देश छोड़ने का फरमान सुनाया था.