एम के न्यूज / महेन्द्र शर्मा
नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने यस बैंक धनशोधन मामले में बम्बई उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ रियल इस्टेट कारोबारी संजय छाबड़िया की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसके तहत ‘डिफाल्ट’ जमानत देने संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि अपराध गंभीर है और उच्च न्यायालय ने हर चीज पर विचार किया है।
इसके बाद छाबड़िया की ओर से पेश वकील ने याचिका वापस ले ली और मामले को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ ने ‘डिफॉल्ट’ जमानत के अनुरोध वाली छाबड़िया की याचिका नौ अक्टूबर को इस आधार पर खारिज कर दी थी कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिवार्य 60 दिन की अवधि के भीतर उनके खिलाफ अभियोजन शिकायत प्रस्तुत की थी, लेकिन उसने विशेष अदालत से मामले में आगे की जांच जारी रखने की अनुमति मांगी थी।
ईडी का कहना था कि छाबड़िया के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन मामले के संबंध में जांच अब भी जारी है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में एजेंसी से सहमति जतायी थी और कहा था कि धनशोधन के अपराध में कई परस्पर जुड़े लेनदेन शामिल होते हैं और इसकी विस्तृत जांच की जरूरत होती है तथा वर्तमान मामले में ईडी एक आर्थिक अपराध की जांच कर रहा है, जिसमें गहन और विस्तृत जांच की जरूरत है।
आदेश में कहा गया था, ”आरोपी को निस्संदेह निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक पहलू है। इसी तरह, यह प्रतिवादी (ईडी) का भी कर्तव्य है कि वह अपराध के संबंध में व्यापक एवं पूरी जांच करे।”
उच्च न्यायालय ने कहा था, ”धनशोधन का तात्पर्य अवैध रूप से अर्जित धन को वैध दिखाने की प्रक्रिया से है। धनशोधन का अंतिम लक्ष्य अवैध धन को वैध वित्तीय प्रणाली में एकीकृत करना है, जिससे प्राधिकारियों के लिए इसका पता लगाना और जब्त करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।”
न्यायमूर्ति कार्णिक ने कहा था कि धनशोधन में अवैध रूप से प्राप्त धन के स्रोत को अस्पष्ट करने के लिए जटिल प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। उन्होंने कहा था कि धनशोधन मामले की जटिलता अवैध धन को छिपाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधियों की जटिलता से निर्धारित होती है।
ईडी के मामले के अनुसार छाबड़िया ने यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर और दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रवर्तक कपिल वधावन द्वारा अवैध रूप से प्राप्त कोष की हेराफेरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
न्यायमूर्ति कार्णिक ने कहा था कि मामले में धनशोधन के बड़े अपराध के संबंध में आगे की जांच जारी है।
छाबड़िया के वकील ने कहा था कि चूंकि मामले में छाबड़िया की गिरफ्तारी के 60 दिन बाद भी मामले की जांच अधूरी है, इसलिए आरोपी ने ‘डिफॉल्ट’ जमानत का अनुरोध किया है।
दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के अनुसार, यदि जांच एजेंसी हिरासत की तारीख से 60 दिन के भीतर आरोप-पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो आरोपी ‘डिफॉल्ट’ जमानत का हकदार होगा। कुछ श्रेणी के अपराधों के लिए निर्धारित अवधि को 90 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
छाबड़िया को सात जून, 2022 को यस बैंक-डीएचएफएल धनशोधन मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। ईडी ने चार अगस्त, 2022 को अपनी अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) प्रस्तुत की थी।