गाजीपुर- नवरात्रि स्पेशल
100 सालों से शहर के बीचों बीच स्थापित है माँ काली की प्रतिमा, नही हटा पाया कोई, ये है वजह
• नीम के पेड़ के नीचे विराजमान रही हैं माँ, अब है भव्य मंदिर
• नीम का पेड़ हटने के खंडित हुई थी प्रतिमा, काफी प्रयास के बाद भी नहीं हटी माँ की प्रतिमा
• नवरात्रि में माँ की पूजा करने वालों की मनोकामना होती है पूर्ण
गाजीपुर। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। नवरात्र के दूसरे दिन देवी के दरबार में मत्था टेका। श्रद्धालुओं ने माँ भवानी के शक्ति स्वरूपा का दर्शन-पूजन कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। नवरात्र के पहले दिन से ही जिले के देवी मंदिरों में आस्था की बयार बह रही है। एक तरफ जहां अधिकांश घरों में कलश स्थापित कर सुबह-शाम शेरावाली की आराधना की जा रही है। वहीं देवी मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।
लेकिन आज हम बात कर रहे है गाजीपुर के सदर कोतवाली इलाके के मिश्रबाजार में स्थापित मां काली मंदिर का। माँ का मंदिर शहर के बीचों बीच स्थित मिश्रबाजार में स्थापित लगभग सौ साल पुरानी काली माता मंदिर का। जहां पर श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता है, और माँ का महात्म्य है कि रास्ते से कोई भी गुजरने वाला शख्स बिना माँ के आगे शीश नवाए नहीं गुजरता। गाज़ीपुर के मिश्रबाजार वाली काली माता मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मुराद लेकर आते हैं, माँ उनकी मुरादे पूरी करती है। माँ के दरबार में फूल माला के साथ चुनरी, नारियल और पूड़ी हलवा चढ़या जाता है। जिससे मां प्रशन्न रहती है। मंदिर के पुजारी गोपाल जी बताते है। आज से 20 साल पहले यहां नीम का पेड़ हुआ करता था। जब पेड़ गिर गया तो आप रूपी मां शीतला की सात मूर्तिया मिली जो तस्वीरों में देखा जा सकता है। नीम के पेड़ गिरने की वजह से काली मां की स्थापित प्रतिमा खंडित हो गई थी। तो लोगों ने मूर्ति हटाने का प्रयास किया। लेकिन मां की प्रतिमा जगह से हिली तक नही। फिर प्रतिमा को किरान से हटाने का प्रयास किया गया । लेकिन उसके बाद भी मां की प्रतिमा अपने स्थान से हिली तक नहीं। लेकिन उस दौरान जो भी हटाने का प्रयास किया उसके साथ अनहोनी होने लगी। तबसे मां की स्थापित प्रतिमा वैसे ही अपने स्थान पर मौजूद है। जो तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। उसके बाद से मां के प्रति लोगों की और आस्था बढ़ गई।