ग़ाज़ीपुर ।
साहित्य चेतना समाज , गीत , बड़ी क्रान्ति या बड़े परिवर्तन के लिए उपयुक्त भावभूमि तैयार करता है।
वह गुदगुदाकर पीड़ा से विमुख नहीं करता बल्कि जनमानस को आन्दोलित करता है।उक्त विचार हिन्दी जगत के ख्यातिलब्ध नवगीतकार डाॅ.बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने काव्य-पाठ के दौरान व्यक्त किया।
अपनी साहित्यिक-यात्रा के सिलसिले में गोरखपुर , देवरिया , मऊ होते हुए गाजीपुर में सोमवार को साहित्य चेतना समाज के आग्रह पर अपने सम्मान में आयोजित एक सरस काव्य-गोष्ठी में उन्होंने अपने कई श्रेष्ठ गीतों का सस्वर पाठ किया।
नगर के गोलाघाट स्थित बाबा जागेश्वरनाथ मंदिर के सभागार में संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर एवं संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने उन्हें अंगवस्त्रम से सम्मानित किया।
कवि हरिनारायण हरीश ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। नगर के प्रबुद्ध श्रोताओं व कवियों की उपस्थिति में देर शाम तक गोष्ठी चलती रही जिसमें सर्वाधिक समर तक लोग डाॅ.मिश्र को सुनते रहे।उनकी बूढ़ी मां की चिट्ठी,चांद जरा धीरे उगना और चैती सहित कई गीत सुनने के बाद भी लोग ‘मछेरे’ वाला गीत सुनने की फरमाइश करते रहे।
गोष्ठी में अनन्तदेव पाण्डेय अनन्त , नागेश मिश्रा , कामेश्वर द्विवेदी , डाॅ.अक्षय पाण्डेय , डाॅ.बालेश्वर विक्रम , अमरनाथ तिवारी अमर , डाॅ.संतोष तिवारी आदि ने काव्य-पाठ किया। डाॅ.श्रीकांत पाण्डेय , विश्वविमोहन शर्मा , डाॅ.अम्बिका पाण्डेय , आशुतोष पाण्डेय , राघवेन्द्र ओझा , आनन्द तिवारी , आनन्द प्रकाश अग्रवाल , अरुण तिवारी , आनन्द तिवारी आदि उपस्थित रहे।अध्यक्षता अनन्तदेव पाण्डेय अनन्त एवं संचालन डाॅ.संतोष तिवारी ने किया।अंत में धन्यवाद ज्ञापन अमरनाथ तिवारी अमर एवं प्रभाकर त्रिपाठी – संगठन सचिव ने किया ।