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गाजीपुर ।
आमतौर पर किसी के निधन के बाद तेरहवीं यानि परंपरागत तरीके से ब्रह्मभोज का कार्यक्रम होता है । इस दिन ब्राह्मण भोज के साथ ही रिश्तेदारों, परिचितों, जान-पहचान वालों और गांव वालों को भोज कराने का चलन है ।
इस चलन का विरोध गाज़ीपुर की जंगीपुर विधानसभा के विधायक डॉ बीरेंद्र यादव ने करने का मन बना लिया है और साथ ही उन्होंने इस प्रथा को सती प्रथा विरोध और राजा राम मोहन राय द्वारा विधवा विवाह चलन को बल देने की तर्ज़ से जोड़ते हुए , मृत्यु के बाद भोज के चलन को सामाजिक कुरीति बताकर इसे बंद करने की मुहिम छेड़ी है ।
आपको बता दें कि यह चलन सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव के गाँव सैफई में लोगों ने बहुत पहले बंद कर दिया था । सैफई के लोगों का मानना है कि तेरहवीं का भोज करने से आर्थिक बोझ पड़ता है । एक तरफ लोग अपनों से बिछड़ने के गम में डूबे होते हैं दूसरी ओर भोज का आयोजन ठीक नहीं लगता है ।
इसी तरह के कार्ययभार को देखते हुए सैफई गांव ने तेरहवीं नहीं करने का फैसला बहुत पहले किया था । जिसकी तर्ज़ पर अखिलेश यादव ने तेरहवीं का भोज न कर प्रार्थना सभा का आयोजन व्यापक रूप से किया था।
ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई श्राद्ध उपरांत ब्रह्मभोज की इस परंपरा को अब गाज़ीपुर की जंगीपुर सीट से दूसरी बार विधायक बने डॉ बीरेंद्र यादव मुहिम बना कर विरोध करने का सार्वजनिक रूप से मन बना चुके हैं , इसके लिए वे अपने सोशल मीडिया एकाउंट से , व्यक्तिगत रूप से लोगो को मिलजुल कर ब्रह्मभोज के इस कार्यक्रम को न करने की अपील भी कर रहे हैं ।