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गाज़ीपुर ।
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा आज अपने गृह जनपद गाज़ीपुर के मोहम्दाबाद क्षेत्र में सहकारिता जगत के पुरोधा रहे समाजसेवी राजकुमार त्रिपाठी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में शिरकत किए ।
प्रतिमा अनावरण के बाद सहकारिता गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मनोज सिन्हा ने मंच से कहा कि आज इस देश में एक ऐसी सरकार है जो वास्तव में ज़मीनी स्तर पर सहकारिता को गाँव और न्याय पंचायतों में पहुँचाना चाहती है और देश की अर्थव्यवस्था को रीढ़ की तरह देखना चाहती है ।
उन्होंने कहा कि आप सब जानते हैं कि हम दुनिया की पाँचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहे हैं अब अगले 25 वर्षों में सन 2047 में जब देश आज़ादी का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा तो हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था कैसे बने इस दिशा में तेजी से प्रयास हो रहा है , भारत जैसे देश में कृषि और सहाकारीता के बिना हमारी अर्थव्यवस्था कभी मज़बूत नहीं हो सकती है । यह बात वर्तमान भारत सरकार पूरी तरह से समझती है और इसके लिए चाहे बजट में कृषि का प्रावधान करना हो या सहकारिता के लिए प्रावधान करना हो सरकार प्रयासरत है , कुछ लोग अनावश्यक रूप से संदेह पैदा कर रहे है ।
भारत के संविधान में जो व्यवस्था है, ये राज्य सरकार का विषय हैं या केंद्र सरकार का विषय है, कुछ ऐसे विषय है जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर निर्णय लेती है , अनावश्यक रूप से कुछ लोग राजनीतिक रूप से इसे देख रहे हैं , इसका स्पष्टीकरण सही तरीक़े से देश के गृहमंत्री और सहकारिता मंत्री ने दिया है ।
उन्होंने कहा कि कोआपरेटिव फेडरेशन की भावना से ही सहकारी संघवाद की भावना से ही यह सरकार काम कर रही है और सहकारिता के विकास में भी उस सिद्धांत का पूरी तरह से पालन किया जाएगा और मैं उम्मीद करता हूँ कि यह नई क्रांति की शुरुआत हुई है कि आने वाले 5 वर्षों में फिर से हमें कामयाबी स्थापित करने में सफलता प्राप्त होगी और देश के पुराने गौरव को स्थापित करने में तो हमें ज़रूर सफलता प्राप्त होगी ।
उन्होंने कहा कि दुनिया में जो भारत को सम्मान बढ़ा है , उसे समझने की ज़रूरत है आज देश की जो प्रतिष्ठा है ऐसी प्रतिष्ठा पहले कभी नहीं थी , इसलिए पेंडोमिक के बाद दुनिया में ज़्यादातर देशों की आर्थिक व्यवस्था लुढ़क गई है , बड़े बड़े देश जहाँ परेशान है , वहीं आज दुनिया के सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था हमारी है और यह कोई सामान्य बात नहीं है ।
उन्होंने कहा की राजनैतिक रूप से कुछ लोगों को बयान देना ज़रूरी नहीं है , लेकिन मुझे उस बात में नहीं पड़ना है , मैं कोई राजनीतिक बात नहीं करना चाहता हूँ लेकिन इसे ईमानदारी से कोई भी संवेदनशील व्यक्ति ज़रूर स्वीकार करेगा कि जिस तरह से अर्थव्यवस्था का संचालन इस देश के प्रधानमंत्री ने किया है । दुनिया के बड़े बड़े अर्थशास्त्री आज भारत का उदाहरण दे रहे हैं कि आज प्रधानमंत्री ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था को किस तरह आगे बढ़ाया है ।
उन्होंने अंत में कहा कि आजकल मैं जहाँ का (जे&के) कार्यभार देख रहा हूँ वहाँ का हमने पहले एक कहावत सुनी थी कि पटना गांधी मैदान और रेलवे स्टेशन किसी सरकारी मंत्री ने गिरवी रख दिया था अब ये मैं नहीं जानता कि यह कितना सही या कितना झूठ है लेकिन यह किस्सा हम लोगों के क्षेत्र में प्रचलित था । उसमें मैं नहीं पड़ना चाहता हूँ। पिछले एक डेढ़ साल में जम्मू कश्मीर में भी सहकारिता को हमने काफ़ी आगे बढ़ाने का प्रयास तो ज़रूर किया है , हर गाँव में सहकारिता को मज़बूत करने के लिए इंटरनेट व्यवस्था के साथ व्यवस्था को मज़बूत किया जा रहा है । तीन सहकारी संस्थाओं की स्थापना करने की दिशा में प्रतिदिन काम कर रहे हैं , अभी हमारा बजट आने वाला है लेकिन हम ये कह सकते हैं कि ये तीनों कोआपरेटिव बैंकों को नया जीवन मिले इसके लिए 265 करोड़ रुपये की कैपिटल मनी की मदद हमने दिया है और अब उम्मीद करते हैं कि वहां निश्चित रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ज़रूर मदद मिलेगी ।
अपनी बात समाप्त करते हुए उन्होने सहकारिता क्षेत्र के पुरोधा रहे राजकुमार त्रिपाठी को सहकारिता क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए श्रद्धांजली अर्पित की और फिर अन्त में एक शेर पढ़ा कि…
कुछ लोग तुम्हें समझाएंगे ,वह तुमको ख़ौफ़ दिलाएंगे
जो है वो खो भी सकता है , इस राह में रहजन इतने हैं ( रहजन — डाकू)
इस राह में कुछ भी हो सकता है , पर तुम जिस लम्हे में ज़िंदा हो
तुम अपनी करनी करते जाओ , जो होगा देखा जाएगा ।।