राजस्थान की सियासत में शुक्रवार को बड़ा सियासी घटनाक्रम घटा। महिला सुरक्षा को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने वाले राज्य के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया। वह गहलोत सरकार में सैनिक कल्याण राज्य मंत्री थे। अकेले कल का ही बयान नहीं था जब गुढ़ा ने अपनी सरकार पर हमला बोला हो, इससे पहले भी कई बार उनके निशाने पर गहलोत सरकार रही है।
राजेंद्र गुढ़ा राजस्थान के झुंझनू जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से विधायक हैं। अरावली की वादियों में बसा हुआ उदयपुरवाटी उपखंड का गुड़ा गांव राजस्थान विधानसभा में दो विधायक भेज चुका है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं दो भाइयों राजेंद्र गुढ़ा और रणवीर गुढ़ा की। राजेंद्र एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसका राजनीति से घनिष्ठ संबंध है। गुढ़ा ने पहली बार 2008 में विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन इससे पहले उनके भाई रणवीर ने इसका प्रतिनिधित्व किया था। रणवीर ने जब 2003 में लोजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी उस समय राजेंद्र ने अपने भाई रणवीर के साथ चुनाव प्रचार किया था। रणवीर सिंह गुढ़ा पहले राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी थे।
राजेंद्र गुढ़ा पहली बार 2008 में पहुंचे राजस्थान विधानसभा
साल 2008 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में राजेंद्र गुढ़ा बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे। इस चुनाव में उनके सामने कांग्रेस से विजेंद्र सिंह इंद्रपुरा और भाजपा से मदन लाल सैनी का मुकाबला हुआ। जब चुनावी नतीजे आए तो राजेंद्र ने उदयपुरवाटी सीट से कांग्रेस के विजेंद्र सिंह को 7,837 वोटों से हर दिया। इसी के साथ वह पहली बार राजस्थान विधानसभा पहुंचे।
हालांकि, चुनाव में जीत के बाद राजेंद्र बसपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस समय उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री बनाया गया।
2013 में लगा झटका
2013 विधानसभा चुनाव में राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे। हालांकि, इस बार उन्हें झटका लगा और वह चुनाव हार गए। उन्हें भाजपा के शुभकरण चौधरी के हाथों 11,871 वोटों से शिकस्त मिली। जनवरी 2015 में एक बार फिर राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए।
2018 में दोबारा बने विधायक
2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में राजेंद्र दूसरी बार बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे। इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के शुभकरण चौधरी को 5,534 वोटों से शिकस्त दिया। इसी के साथ वह दूसरी बार उदयपुरवाटी के विधायक के तौर पर राजस्थान विधानसभा पहुंचे।
दूसरी बार बसपा छोड़ी और कांग्रेस में आए
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के छह विधायक जीतकर आए थे। इनमें राजेंद्र गुढ़ा, जोगेंद्र सिंह अवाना, वाजिब अली, लाखन सिंह मीणा, संदीप यादव और दीपचंद खेरिया शामिल हैं। सितंबर 2019 राजेंद्र समेत सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए, जो कि पहले कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे थे।
गहलोत सरकार के लिए बने संकटमोचक
साल 2020 में जुलाई-अगस्त में गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट गुट ने बगावत की थी। इस दौरान राजेंद्र गुढ़ा गहलोत समर्थक विधायकों में शामिल थे। गहलोत सरकार के लिए नंबर कम पड़े तो उन्होंने सरकार का समर्थन किया। इस घटनाक्रम का जिक्र राजेंद्र ने खुद कई बार सार्वजनिक मंच से भी किया है।
2021 में राजेंद्र गुढ़ा बने मंत्री
नवंबर 2021 में जब राजस्थान में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ और कुल 15 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसमें राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें राजस्थान सरकार में सैनिक कल्याण और पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभागों के राज्य मंत्री की कुर्सी मिली। उस समय कहा गया कि उन्हें गहलोत खेमे के समर्थन के कारण ये जिम्मेदारी मिली।
मुख्यमंत्री गहलोत ने मंत्री पद से बर्खास्त किया
शुक्रवार को राजस्थान सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार शाम गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त करने की अनुशंसा राज्यपाल कलराज मिश्र से की थी। कुछ ही घंटों में राज्यपाल मिश्र ने गहलोत की इस अनुशंसा को स्वीकार कर लिया।
‘हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए’ और चली गई कुर्सी
दरअसल, गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही कांग्रेस सरकार को बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर घेरा था। उन्होंने कहा था कि ‘मणिपुर के बजाय हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, क्योंकि राजस्थान में हम महिलाओं की सुरक्षा में असफल हो गए।’ राजेंद्र गुढ़ा को ये कोई पहला बयान नहीं था जिसमें उन्होंने अपनी ही कांग्रेस सरकार को घेरा हो। इससे पहले भी गुढ़ा कई बयान दे चुके हैं, जिससे सरकार की किरकिरी हुई थी या फिर वे विवाद का कारण बने थे।