मुंबई में INDIA अलायंस की तीसरी बैठक के बाद कोऑर्डिनेशन और कैंपेन कमेटी समेत 5 कमेटीयों के सदस्यों ने नामों की घोषणा कर दी गई थी. जिसके बाद अब INDIA गठबंधन की असली चुनौती शुरू होने जा रही है. दिल्ली में 13 सितंबर को शरद पवार के घर 14 सदस्यों वाली कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक होनी है. जो काफी अहम मानी जा रही है. दरअसल गठबंधन के दलों के बीच कई राज्यों में सीटों के बंटवारे को लेकर फॉर्मूला तय करना है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्यों में सीट बंटवारे, यूपी, बिहार जैसे राज्यों में कांग्रेस की भूमिका के अलावा आम आदमी पार्टी को सीट दिए जाने को जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
किन राज्यों में फंस सकता है पेंच:
Bihar: बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. सीटों के बंटवारे को लेकर आम सहमति बनाना सबसे मुश्किल इसी राज्य में है. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की दावेदारी के बीच कांग्रेस 10 सीटों पर दावा ठोक सकती है. जबकि लालू, नीतीश कांग्रेस को 6 सीटें देने के मूड में हैं, वहीं लेफ्ट के दल भी अपने लिए सीटें मांग रहे हैं. विधानसभा में चल रहे महागठबंधन की तर्ज पर ही लोकसभा में उतरने की कोशिश होगी ताकि बीजेपी को न्यूनतम सीटों पर रोका जा सके.
Uttar Pradesh: सूत्रों की मानें तो आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 18-20 सीट चाहती है, जिस पर आसानी से समाजवादी पार्टी तैयार होना मुश्किल हो सकता है. वहीं दूसरा पेंच चंद्रशेखर रावण को चुनाव लड़ने को लेकर है, जिन्हें समाजवादी पार्टी उन्हें अपने कोटे से सीट नहीं देना चाहती है. इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल की सीटों की संख्या पर भी अंतिम फैसला होना है. सूत्रों के मुताबिक, दबाव बढ़ाते हुए अखिलेश मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी अपने लिए सीट मांग सकते हैं.
Delhi and Punjab: आम आदमी पार्टी की बढ़ती राजनीतिक इच्छाएं भी गठबंधन के लिए मुश्किल का सबब बनी हुई है. दिल्ली और पंजाब में अभी तक कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के एक-साथ चुनाव लड़ने पर फैसला नहीं हो सका है. दोनों दलों की राज्य इकाइयां खुलकर विरोधाभासी ब्यान दे रही हैं. जानकारी के मुताबिक आम आदमी पार्टी दिल्ली-पंजाब के बदले गुजरात और हरियाणा में भी सीट चाहती है.
Maharashtra: सवाल महाराष्ट्र को लेकर भी हैं क्योंकि, एनसीपी और शिवसेना का बड़ा हिस्सा अलग होने के बाद अब कांग्रेस वहां अपनी खोई जमीन वापस पाना चाहती है और ज्यादा सीटें लेने का दबाव बनाने की तैयारी में है. एनसीपी, शिवसेना में टूट के पहले कांग्रेस राज्य गठबंधन में तीसरे नंबर का दल थी.
West Bengal: गठबंधन के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है पश्चिम बंगाल. जहां टीएमसी और लेफ्ट किसी कीमत पर साथ आने को तैयार नहीं हैं. हाल ही में हुए उपचुनाव में कांग्रेस समर्थित लेफ्ट उम्मीदवार होने के बावजूद टीएमसी ने त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को मात दे दी थी. ऐसे में ममता बनर्जी कतई झुकने के मूड में नहीं दिख रही हैं और बंगाल के लिए फॉर्मूला निकालना एक बड़ी चुनौती बन सकता है.
वहीं कल होने वाली कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक से पहले ही टीएमसी के नेता अभिषेक बनर्जी को ईडी का समन मिलने पर भी विपक्ष ने टाइमिंग को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा ये लगातार होता है जब भी कोई मीटिंग होती है जब कोई चुनाव होता है या अहम इवेंट होता है तो विपक्ष के नेताओं के खिलाफ ईडी सीबीआई इनके फ्रंटल बनकर आ जाते हैं.