केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस की दहशत देखी जा रही है. इस जानलेवा वायरस से दो मरीजों की मौत की पुष्टि होने के बाद केरल सरकार ने अपने बयान में कहा है कि निपाह वायरस का यह बांग्लादेश वाला वेरिएंट बेहद खतरनाक है. सूबे की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि यह वायरस इंसानों से इंसान में फैलता है. इसके फैलने की रफ्तार भले ही कम होती है लेकिन ये बेहद खतरनाक होता है. स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया है कि कोझिकोड में हुई एक मरीज की मौत इसी वायरस की वजह से हुई है. आपको बताते चलें कि पिछले महीने की 30 अगस्त को भी राज्य में एक मरीज ने इसके संक्रमण की वजह से दम तोड़ा था.
निपाह की नहीं बनी है वैक्सीन- लगातार सामने आ रहे मामले
2018 के बाद ये चौथा मौका है जब केरल में निपाह वायरस का कहर दिखा है. 2018 में जब पहली बार केरल में निपाह वायरस पाया गया था तब 23 संक्रमित लोगों में से 21 की मौत हो गई थी. साल 2019 और 2021 में फिर से निपाह के केस पाए गए. यह वायरस चमगादड़ों से फैलता है. तेज बुखार, बदन दर्द, उल्टी इसके लक्षण होते हैं.
खजूर के पेड़ से फैला निपाह
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में साल 2016 में निपाह वायरस के संक्रमण से काफी लोगों की मौत हुई थी. हालांकि निपाह संक्रमितों के आंकड़े को लेकर कई दावे किए गए. मेडिकल एक्सपर्ट की पड़ताल के बाद ये भी कहा गया था कि यह वायरस खजूर के पेड़ और उसके फल से फैला. खजूर के पेड़ पर चमगादड़ इकट्ठा हुआ करते थे. बाद में जिन लोगों ने खजूर के उस पेड़ से निकले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया तो वो बीमार पड़ गए. निपाह का यही बांग्लादेश वेरिएंट केरल में लोगों को डरा रहा है. केरल के हालात का जायजा लगाने के लिए एक्सपर्ट्स की एक टीम दिल्ली से वहां पहुंची है और जांच कर रही है.
इसके दहशत की सबसे बड़ी वजह इसकी वैक्सीन का न होना है. इसकी कोई स्पेशल दवा भी नहीं है. ये वायरस सीधे-सीधे ब्रेन और नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है. इससे संक्रमित शख्स बहुत कोमा में जा सकता है. आपको बताते चलें कि निपाह की पहचान 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में हुई थी.