विपक्षी कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई नहीं जानता कि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिया भी जाएगा या नहीं. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा अब तक जारी उम्मीदवारों की तीन सूचियों में चौहान का नाम शामिल नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने पूछा कि जब उनकी अपनी ही पार्टी को उन पर भरोसा नहीं है तो राज्य की जनता उन पर कैसे भरोसा करेगी?
उन्होंने पत्रकार वार्ता में कहा, ‘बीजेपी की सूचियां सामने आ रही हैं, लेकिन इनमें उनके (शिवराज सिंह के) कट्टर प्रतिद्वंद्वियों के नाम तक शामिल हैं. लेकिन चौहान का नाम अब तक सूची में नहीं आया है. लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. किसी को नहीं पता कि उनका नाम सूची में आएगा या नहीं.’
क्या है बीजेपी का रुख?
कांग्रेस नेताओं के ऐसे आरोपों पर बीजेपी सूत्रों की तरफ से कहा गया है कि अभी तक जो सीटें घोषित की गईं उनमें अधिकांश पिछले चुनाव में हारी हुईं हैं. केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को कुछ कमजोर सीटों पर उतारने के पीछे मंशा यही कि इन्हें हर हाल में जीता जाए. इससे सभी कैंडिडेट अपनी-अपनी सीट जीतने पर पूरा जोर लगाएंगे और आसपास की सीटों पर भी सकारात्मक असर होगा. वहीं केंद्र की राजनीति करने वाले नेताओं को भी संदेश दिया गया है कि उन्हें अपने सूबे में अपनी सियासी ताकत दिखानी होगी.
केंद्रीय मंत्री भी चुनावी मैदान में
नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस बार चुनाव मैदान में उतार दिए गए हैं. प्रत्याशी सूची से ऐसा महसूस होता है कि सत्तासीन पार्टी चुनाव मैदान में अपने ही वरिष्ठ क्षेत्रीय नेताओं के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनिंदा इलाकों और जातियों के बीच उनके तजुर्बों और असर से बड़ा फायदा उठाया जा सके.
भाजपा ने अब तक 79 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, प्रहलाद पटेल और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय शामिल हैं. इन तीनों नेताओं को मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों के तौर पर देखा जा रहा है. नायक ने यह भी दावा किया कि बीजेपी के केंद्रीय नेता तक चुनाव से पहले चौहान का नाम भी नहीं ले रहे हैं.