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यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के वार्ता समर्थक गुट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में ऐतिहासिक समझौता, त्रिपक्षीय समझौता पर हस्ताक्षर किए

एम के न्यूज / महेन्द्र शर्मा

नई दिल्ली
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के वार्ता समर्थक गुट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में केंद्र और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

दशकों पुराने उग्रवाद के खत्म होने की उम्मीद
अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में हस्ताक्षरित समझौता, अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा गुट और सरकार के बीच 12 साल की बिना शर्त बातचीत के बाद हुआ है। इस शांति समझौते से असम में दशकों पुराने उग्रवाद के खत्म होने की उम्मीद है।

अमित शाह ने दिया बयान
इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “यह मेरे लिए खुशी की बात है कि आज का दिन असम के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल दिन है। लंबे समय तक, असम और पूर्वोत्तर को हिंसा का सामना करना पड़ा और 2014 में पीएम मोदी के पीएम बनने के बाद, दिल्ली और पूर्वोत्तर के बीच अंतर को कम करने के प्रयास किए गए।”

पीएम मोदी और अमित शाह का जताया आभार
वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “आज असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में असम की शांति प्रक्रिया निरंतर जारी है। तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और तीन समझौतों के साथ असम में आदिवासी उग्रवाद समाप्त हो गया है।”

1990 में किया गया प्रतिबंधित
हालांकि, परेश बरुआ की अध्यक्षता वाला उल्फा का कट्टरपंथी गुट इस समझौते का हिस्सा नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि बरुआ चीन-म्यांमार सीमा के पास रहता है। उल्फा का गठन 1979 में संप्रभु असम की मांग के साथ किया गया था। इसके बाद से यह कई विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है, जिसके कारण केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया।

2011 में हुई थी शांति वार्ता
राजखोवा गुट 3 सितंबर, 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल हुआ, जब इसके और केंद्र और राज्य सरकार के बीच सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SOO) के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

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