वाराणसी।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान संकाय के सहायक प्रोफेसर मनोज कुमार वर्मा का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है।
मूलत: चंदौली जनपद के चकिया तहसील अंतर्गत ग्राम गरला निवासी मनोज कुमार वर्मा ने पिछड़े वर्ग के अंतर्गत कहार जाति का होते हुए सोनभद्र जनपद के राबर्ट्सगंज तहसील के बैनी गांव से अनुसूचित जनजाति खरवार का प्रमाण पत्र बनवाया था।
इस संबंध में चंदौली जनपद के चतुर्भजपुर सकलडीहा निवासी अनंत नारायण मिश्र ने सोनभद्र जनपद में शिकायत की थी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय समिति ने इस प्रमाण पत्र को जांचोपरांत फर्जी पाया। जांच समिति ने जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया है।
चंदौली में हुई जांच में कूट रचना में सहभागी मानते हुए दो ग्राम पंचायत अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। सोनभद्र की जांच समिति का यह आदेश 21 अप्रैल को आया है। यह जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद मनोज कुमार की नौकरी पर तलवार लटकने लगी है, फिलहाल बीएचयू प्रशासन इस प्रकार की किसी भी जानकारी से इन्कार कर रहा है लेकिन आधिकारिक तौर पर पत्र पहुंचने के बाद कार्रवाई होनी भी तय मानी जा रही है। जांच समिति ने आरोपित मनोज कुमार के घर-परिवार, ननिहाल से लगायत रिश्तेदारी तक जांच की तो पता चला कि इनके सभी सगे-संबंधी कहार जाति के हैं।
फर्जी तरीके जाति प्रमाण पत्र बनवाने के बाद मनोज ने ग्राम पंचायत अधिकारियों से मिलकर परिवार रजिस्टर का पन्ना ही फड़वा दिया था। जबकि मनोज के पिता कन्हैया प्रसाद मीरजापुर जनपद में जिला सहकारी बैंक में कार्यरत थे, वहां उनकी जाति कहार ही दर्ज थी।