गाजीपुर।
प्रसिद्व कवि दुर्गा प्रसाद उर्फ गुरू द्वारा रचित गीतो और गजलो के काव्य संग्रह “गीतो का दरबार” नामक पुस्तक का लोकार्पण समालोचक डा.पी.एन.सिंह ने बुधवार को अपने आवास पर करते हुए कहा कि दुर्गा प्रसाद तिवारी एक सरल सीधे इंसान थे, वे अच्छे कवि थे।
प्रसिद्ध नवगीतकार डा. उमाशंकर तिवारी के बड़े करीबी थे। इस काव्य संकलन में कुल 98 कविताएं है, जिनमें 71 गीत व 27 गजलें है। मूलतः गीतकार आजीवन इतना जटिल, कठिन व पेचीदा होता गया कि अब कवि की मासूम जिन्दगी के लिए जगह ही नही बची है। यह जानकर खुशी हुई कि कवि तिवारी एक अच्छे गीतकार होनेे के साथ ही साथ, एक कुशल गजलगों भी है।
इस अवसर पर डा. संतोष कुमार तिवारी ने कहा कि इनकी पहली कृति दो बहनें प्रबन्ध का व्यथा थी, जिसमें सुलोचना व उर्मिला की कहानी है। दूसरा संकलन गीतों का दरबार गीत काव्य है। पूर्व प्राचार्य और हिन्दी के प्राध्यापक डा. रामबदन सिंह, दुर्गा प्रसाद तिवारी के कृति की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
उनका कहना था कि इनके गीतों और गजलों में जहां सामाजिक समस्याओं पर प्रहार है वहीं गांव के प्रति रूमानीपन भी है। कन्हई राम प्रजापति ने कहा कि जहॉ तिवारी जी की कविताओं में आरक्षण का दर्द है वहीं गीतकार यह भी दर्शाता है कि इस समाज में कितना अन्याय है कि पीठ नापने वाले लोग पीठ न नापकर मनुष्य का पेट नापते है। इन विसंगतियों ंका चित्रण और संवेदनाओं की समझ की कवि को बड़ा बनाती है। दुर्गा प्रसाद तिवारी के पुत्र प्रवीण तिवारी ने सभी लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
मनोभावनाओं को वह कविता के माध्यम से व्यक्त करता है। “आदमी वही आदमीयत के लिए, आदमी जो मरे आदमी के लिए।“ इस अवसर पर पी.जी. कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. अशोक सिंह, डा. श्रीकान्त पाण्डेय, रामनगीना कुशवाहा, अनिल सिंह, अजय प्रकाश, कुलदीप गुप्ता, प्रमोद राय आदि उपस्थित रहे।