नई दिल्ली के संसद भवन की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी नया विधानसभा भवन बनाया जाएगा. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती के अवसर पर 25 दिसंबर को नए विधानभवन की आधारशिला रखी जा सकती है. दारुलशफा और आसपास के क्षेत्र को मिलाकर नए भवन का निर्माण होगा, जिस पर करीब तीन हजार करोड़ रुपये की लागत आने की उम्मीद है.
कंसल्टेंट का चयन
योगी सरकार (Yogi Government) का लक्ष्य है कि 18वीं विधानसभा के कम से कम एक सत्र का आयोजन इस नए भवन में हो. बता दें कि मौजूदा भवन जरूरतों के हिसाब से छोटा पड़ रहा है. मौजूदा भवन का उद्घाटन 1928 में हुआ था. साल 2023-24 के आम बजट में टोकन के तौर पर 50 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया जा चुका है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ समय प्रदेश में नए विधानभवन (New Vidhansabha bhavan) निर्माण के लिए कंसल्टेंट का चयन किया गया था. कंसल्टेंट ने सर्वे और मिट्टी की जांच का काम पूरा कर लिया. फिलहाल अभी तक उनका ये सर्वे काफी गोपनीय रखा जा रहा है.
साल 2027 से पहले इसका निर्माण
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लोकभवन के पीछे दारुलशफा (Darulshafa) के पुराने भवन को ढाया जाएगा. जरूरत के अनुरूप अन्य भवनों को भी इसके दायरे में लाया जा सकता है. 25 दिसंबर को शिलान्यास की तैयारी की जा रही है. कोशिश रहेगी कि साल 2027 से पहले इसका निर्माण पूरा कर लिया जाए. बता दें कि 25 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती है.
यूपी विधानसभा का इतिहास (History of UP Assembly)
यूपी विधानसभा का इतिहास 97 साल पुराना है. मौजूदा विधानभवन की नींव 15 दिसंबर, 1922 को तत्कालीन गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी. यूपी विधानसभा बनने में करीब छह साल लगे. विधानसभा भवन का उद्घाटन 21 फरवरी, 1928 को किया गया था. इसका निर्माण कलकत्ता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी द्वारा किया गया. मौजूदा विधानसभा में फिलहाल 403 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है. इस असेंबली में 2 डिप्टी सीएम, 1 दजर्न कैबिनेट मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष व लगभग 70 डिपार्टमेंट्स के प्रमुखों मुख्य कार्यालय के साथ ही 150 सालों का इतिहास है. यहां पर 503 चुने हुए मेंबर्स के साथ 70 डिपार्टमेंट्स के प्रमुख बैठते हैं.