गाजीपुर ।
जखनिया के भुड़कुड़ा थाना अंतर्गत रामपुर बलभद्र( मलकानी) गांव के कन्हैया लाल यादव पुत्र नंदलाल यादव नासिक के देवलाली में कार्यरत थे। कन्हैया लाल यादव 2003 में सेना में भर्ती हुए थे। लेकिन अपने पीछे दो बच्चों को छोड़कर दुनिया से चल बसे।
वैसे तो गाजीपुर शहीदों की धरती है और गाजीपुर शहीदो की धरती को हर कोई सलाम करता हैं जो धरती ऐसे ऐसे वीर सपूतों को पैदा करती है जो देश की रक्षा करते करते सीने में गोली खाकर खुशी खुशी मौत को गले लगा लेते हैं। कन्हैया लाल यादव ने अपने पीछे एक पुत्र व एक पुत्री रोशनी यादव जिनकी उम्र सिर्फ 12 वर्ष और पुत्र विश्वजीत यादव उम्र तकरीबन 16 वर्ष है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है वही पत्नी रिंकू यादव पति के याद में बेहोश होकर गिर गिर जा रही हैं।
ऐसा कहा जाता है कि पिता को सबसे बड़ा दु:ख तब होता है जब पुत्र की अर्थी उठानी पड़ती है। आज वही दिन नंदलाल यादव को देखना पड़ा रहा कि पुत्र की अर्थी उठाते समय पिता के ऊपर क्या गुजरी होगी। कन्हैया यादव का शहीद होना बहुत ही बड़ा दु:ख परिजनों एवं क्षेत्रवासियों को हुआ , लेकिन गर्व भी है कि कन्हैया यादव देश के लिए अपने प्राणों को नि:छावर किए हैं , धन्य है वह मां जो ऐसे लाल को पैदा करती हैं।
माता दुर्गावती देवी ने रोते हुए शब्दों में पत्रकारों से कहा मेरा पुत्र देश की सेवा करता था और करते करते देश के लिए उसने अपनी जान दे दिया।